
स्वर्णनगरी में पर्यटन सीजन इन दिनों अपने चरम पर है। देश के कोने-कोने से हजारों सैलानी प्रतिदिन क्रिसमस और अब उसके बाद शीतकालीन अवकाश में नववर्ष का जश्न मनाने के लिए जैसलमेर व सम के धोरों की ओर रुख कर रहे हैं। दूसरी तरफ अपार सैलानियों की भीड़ के बीच अब पर्यटन यात्रा में ठगी का गंभीर संकट भी उभर कर सामने आ रहा है। साइबर ठगों और फर्जी बुकिंग एजेंटों की सक्रियता के चलते कई पर्यटक जैसलमेर पहुंचने के बाद ठहरने की पुख्ता व्यवस्था से वंचित हो रहे हैं।
आए दिन ऐसे पर्यटकों की आपबीती सोशल मीडिया पर जगह बना रही है। हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पर्यटकों ने ऑनलाइन या फोन के माध्यम से होटल, रिसोर्ट या डेजर्ट कैंप की बुकिंग करवाई, एडवांस राशि भी जमा कराई, लेकिन जैसलमेर पहुंचने पर पता चला कि संबंधित होटल या तो अस्तित्व में नहीं है या वहां कोई बुकिंग दर्ज नहीं है। कई बार होटल का नाम असली होता है, लेकिन बुकिंग किसी फर्जी नंबर या नकली वेबसाइट के जरिए करवाई गई होती है।
पर्यटन से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि सैलानियों को जैसलमेर आने से पहले विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। केवल होटल बुक करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि होटल का सही पता, गूगल मैप लोकेशन, लैंडलाइन या अधिकृत नंबर, होटल रिसेप्शन से सीधे पुष्टि और बुकिंग कन्फर्मेशन की लिखित जानकारी लेना जरूरी है। यदि किसी एजेंट या वेबसाइट के जरिए बुकिंग कर रहे हैं, तो उसकी प्रामाणिकता की जांच अवश्य करनी चाहिए। जानकारों के अनुसार अत्यधिक सस्ते ऑफर, तुरंत भुगतान का दबाव और व्यक्तिगत खातों में पैसे जमा कराने की मांग ठगी के स्पष्ट संकेत हैं। ऐसी स्थिति में सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है। पर्यटन कारोबारियों ने प्रशासन से भी मांग की है कि फर्जी बुकिंग और साइबर ठगी के मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाए, साथ ही आधिकारिक होटल सूची और हेल्पलाइन को प्रचारित किया जाए।
जैसलमेर की यादगार यात्रा को परेशानी में बदलने से बचाने के लिए होटल, संपर्क, लोकेशन और संबंधित व्यक्ति की पुष्टि के बाद ही यात्रा की योजना बनाना सैलानियों के लिए अनिवार्य हो गया है।
Published on:
28 Dec 2025 11:30 pm
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