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जैसलमेर : बिजली की गुस्ताखी, व्यवस्था में फॉल्ट… रात भर तड़पते रहे लोग

जैसलमेर शहर में शुक्रवार रात से शुरू हुआ विद्युत संकट शनिवार दोपहर तक बना रहा। बिजली की आंख मिचौली से आमजन हलकान रहे।

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जैसलमेर शहर में शुक्रवार रात से शुरू हुआ विद्युत संकट शनिवार दोपहर तक बना रहा। बिजली की आंख मिचौली से आमजन हलकान रहे। स्वर्णनगरी में शुक्रवार शाम को तेज आंधी के बाद से विद्युत आपूर्ति बार-बार बाधित होती रही। कहीं एक फेज जा रहा था, कहीं पूरी सप्लाई कट रही थी। कई मोहल्लों में रात भर लोग गर्मी में तड़पते रहे — पंखे बंद, इनवर्टर डाउन और मोबाइल भी चार्ज नहीं हो सके। शनिवार सुबह तक यही हालात बने रहे, जिससे लोग आक्रोशित नजर आए। ऐतिहासिक सोनार दुर्ग सहित शहर के कई इलाकों में घंटों बिजली गुल रही। व्यापारियों को कामकाज में परेशानी हुई, वहीं घरों में महिलाएं, पुरुष और बच्चे गर्मी व उमस से बेहाल दिखे। आमजन का कहना है कि थोड़ा सा मौसम बिगड़ते ही बिजली व्यवस्था दम तोड़ देती है, जो सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करता है।

विभाग की नसीहत- धैर्य रखें

शिकायतों के बाद शहरवासी जब डिस्कॉम से संपर्क करते रहे तो जवाब मिलता- 33 केवी डेडानसर पर काम चल रहा है। कृपया धैर्य रखें, 40-50 मिनट में सप्लाई सामान्य हो जाएगी..। हकीकत यह है कि शहर के कई इलाकों में यह 40 मिनट कई घंटे में भी नहीं बदले।

सवाल : तकनीकी फॉल्ट या ढीली निगरानी?

हर बार तकनीकी फॉल्ट के नाम पर पल्ला झाडऩे की कोशिश होती है, लेकिन मूल सवाल यह है कि क्या व्यवस्था इतनी कमजोर है कि हल्की बारिश और हवा भी उसे झकझोर देती है? क्या ट्रांसफॉर्मर, फीडर और जंपर इतने जर्जर हो चुके हैं कि बार-बार फेल हो जाते हैं?

व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

लोगों ने सोशल मीडिया पर जिम्मेदारों के प्रति नाराजगी जताई। उनका कहना है कि स्मार्ट सिटी और टूरिज्म हब बनने की बात करने वाले शहर में अगर रातभर बिजली न आए तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है।

न सिर्फ रात, दिन में भी रहा संकट

विद्युत संकट सिर्फ रात तक सीमित नहीं रहा, शनिवार सुबह भी कई बार लाइट गुल हुई।स्कूल, दुकानों और घरों में इसका असर साफ दिखा। बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह गर्मी किसी सजा से कम नहीं रही।

पूरी रात बच्चों ने रो-रोकर काटी

शुक्रवार रात बिजली चली गई, इनवर्टर भी जल्दी डाउन हो गया। बच्चों को नींद नहीं आई, पूरा परिवार छत पर बैठा रहा। इतना गर्म मौसम और बिजली नहीं — ये व्यवस्था की सबसे बड़ी नाकामी है।

-- अनीता भाटी, स्थानीय निवासी

बिजली नहीं, काम कैसे करें?

रात की तो छोडि़ए, शनिवार सुबह भी बार-बार बिजली जा रही थी। दुकान खोलने के बाद भी काम नहीं हो सका। ग्राहक लौट गए। बार-बार ट्रिपिंग से हमारे उपकरण भी खराब हो रहे हैं।
-अशोक कुमार, दुकानदार
एक ही जवाब- धैर्य रखें
कितनी बार कंट्रोल रूम पर कॉल किया, जवाब मिलता है — 'धैर्य रखें'… मगर कब तक? क्या हर बारिश के बाद हम यूं ही परेशान होते रहेंगे?

  • गोकुल व्यास, स्थानीय निवासी

बुजुर्ग बीमार हैं, गर्मी से हालत बिगड़ रही

मेरे घर में 70 साल के पिता हैं, उन्हें सांस की तकलीफ है। बिना पंखे के पूरी रात तड़पते रहे। यह संकट हर साल झेलना पड़ता है। इस समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए।

-सीमा सोनी, स्थानीय निवासी