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वैशाख महीने में स्वर्णनगरी बनी धर्मनगरी

स्वर्णनगरी के ऐतिहासिक सरोवर तालाबों में भी ब्रह्म मुहुर्त में लोग स्नानादि कर्म कर सूर्य देव की स्तुति करते देखे जा सकते है। वैशाख महीने में अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने के लोग दान-पुण्य को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।

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वैशाख महीने में स्वर्णनगरी बनी धर्मनगरी

जैसलमेर. स्वर्णनगरी के ऐतिहासिक सरोवर तालाबों में भी ब्रह्म मुहुर्त में लोग स्नानादि कर्म कर सूर्य देव की स्तुति करते देखे जा सकते है। वैशाख महीने में अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने के लोग दान-पुण्य को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। श्रद्धालु तालाब के पानी को पवित्र व साक्षी मानकर अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा याचना एवं सद्बुद्धि व पवित्र विचारों आत्मसात करने के लिए भी धार्मिक आयोजनों में शिरकत कर रहे हैं। इन दिनों वैशाख महीने में स्वर्णनगरी में धार्मिकता का ज्वार उफान पर दिखाई दे रहा है। पूर्वजों की याद में पुनीत कार्य हो या परोपकार के लिए गोपनीय दान हो या धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन हो या फिर ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए जतन। बहन व बेटी पक्ष के परिवार जनों के लिए लोग दही, शक्कर, छाछ सहित भेंट सामग्री देने का प्रचलन भी है। यहां सोनार दुर्ग स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर, घंटियाली मंदिर, रतनेश्वर महादेव मंदिर, सूर्य मंदिर, बाबा रामदेव मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर सहित शहर के बिजलीघर स्थित गजटेड हनुमान मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, हिंगलाज मंदिर, वरुणेश्वर मंदिर, गज मंदिर, गणेश मंदिर सहित विभिन्न देवी मंदिरों व थानों में अभी तक दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ रही है। इसके अलावा वृद्ध हो या महिलाएं, युवा हो या फिर बच्चे, मंदिरों में दर्शन कर ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए धार्मिकता का माहौल चहुंओर देखा जा सकता है।

प्रकट हुए भगवान नृसिंह, किया हिरण्यकश्यप का वध
जैसलमेर. शहर के सोनार किले की अखे प्रोल के प्रांगण में राज रणछोड़ मंदिर की तलहटी में भगवान ने धर्म की रक्षार्थ अपने शिष्य की रक्षा के लिए नृसिंह अवतार लिया। कार्यक्रम की शुरूआत राज रणछोड़ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ हुई, जिसमें शहर के गणमान्य नागरिकों तथा नृसिंह भगवान, हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद के नाट्य रूपों को निभाने वाले कलाकारों ने हिस्सा लिया। हिरण्यकश्यप के साथ भगवान नृसिंह के वार्तालाप का दृश्य प्रस्तुत किया गया। भगवान ने खम्भे से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप को अपनी जांघों पर बिठाकर नाखूनों से उसका पेट चीरकर वध कर दिया । इसके बाद भगवान नृसिंह की सवारी शंखनाद एवं ढोल नगाड़ों की ध्वनि के साथ गोपा चौक तक निकाली गई। भगवान नृसिंह की लीला को मंच पर प्रहलाद के रूप में नैतिक गज्जा, हिरण्यकश्यप के रूप में विजय लौहार एवं भगवान नृसिंह अवतार के रूप में कमल आचार्य ने भूमिका निभाई। पंडित की भूमिका में सोनू शर्मा ने सहयोग किया। कार्यक्रम का समापन आरती अर्चना के साथ ही प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ।