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राजस्थान के इस शहर में बने किले की घाटियों से गुजरना अब हो गया है चुनौतीपूर्ण, जानिए क्यों…

अंधेरे, बरसाती मौसम और फिसलन के इस त्रिकोण में रोजाना हजारों लोग- रहवासी, मंदिर आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक काफी संभलकर आवागमन करते हैं। गौरतलब है कि होली पर्व के बाद से दुर्ग की घाटियों की चिकनाहट बढ़ गई है। इन रास्तों पर बारिश के दौरान न केवल वाहन सहित बल्कि दुपहिया वाहन लेकर जाना भी जोखिम भरा हो जाता है।

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जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग की पहचान मानी जाने वाली घुमावदार घाटियों पर आवाजाही के दौरान सावधान रहने की जरूरत है। इन घाटियों में फिसलन खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। नालियों पर लगे पत्थर उखड़ने लगे है, वहीं नालियों का गंदा पानी भी कई बार घाटियों पर बहता है। अंधेरे, बरसाती मौसम और फिसलन के इस त्रिकोण में रोजाना हजारों लोग- रहवासी, मंदिर आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक काफी संभलकर आवागमन करते हैं। गौरतलब है कि होली पर्व के बाद से दुर्ग की घाटियों की चिकनाहट बढ़ गई है। इन रास्तों पर बारिश के दौरान न केवल वाहन सहित बल्कि दुपहिया वाहन लेकर जाना भी जोखिम भरा हो जाता है।

हकीकत : रात में अंधेरा, दिन में पानी और कीचड़
रात के समय बिजली कटौती और कई स्ट्रीट लाइट्स के खराब होने से अंधेरे में घाटियां और खतरनाक हो जाती हैं। वहीं दिन में कई बार सीवरेज का पानी घाटियों पर आने से पानी के बहाव के कारण कीचड़ जम जाती है जो पहले से ही फिसलन भरी सतह को और दुश्वार बना देती है।

यह है हकीकत
पर्यटन सीजन की आहट के बावजूद न घाटियों पर बनी नालियों पर लगे पत्थरों को दुरुस्त किया गया है और न ही उधड़े हुए मार्ग की मरम्मत ही हो पाई है। ऐसे में बारिश के दिनों में घाटियों से गुजरना आसान नहीं है। आए दिन घाटियों पर राहगीरों व दुपहिया वाहनों के फिसलने की घटनाएं होती रहती है।

फैक्ट फाइल
-1156 ई. में करवाया गया था जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार किले का निर्माण -3 प्रमुख घाटियां है सोनार किले की, जिसमे अखे प्रोल, सूरज प्रोल व हवा प्रोल शामिल है।
-3 हजार की आबादी निवास करती है ऐतिहासिक सोनार किले में
-2 वार्ड में विभक्त है जैसलमेर का दुर्ग, जिसे कहा जाता है लिविंग फोर्ट भ
- 8 हजार पर्यटक हर वर्ष जैसलमेर में करने आते हैं दुर्ग का भ्रमण

सतर्क न होते तो हो जाता हादसा
इतना ऐतिहासिक दुर्ग देखकर मन खुश हुआ लेकिन घाटियों की हालत देखकर डर भी लगा। बच्चे का पैर फिसला, घुटने छिल गए। अगर हम सतर्क न होते तो हादसा हो सकता था।
-रमा शर्मा, पर्यटक, जयपुर

अंधेरे में चलना मुश्किल
हर साल बरसात के साथ यह समस्या लौटती है। चिकनी घाटियों की फिसलन कम नहीं हो रही। बिजली कटते ही अंधेरे में चलना मुश्किल हो जाता है।
-बद्रीलाल, स्थानीय निवासी

बच्चे भी हो रहे परेशान
स्कूल आते-जाते कई बार फिसली हूं। कई बच्चे चोटिल हुए हैं। दुर्ग की घाटियों में बच्चों के लिए चलना सबसे खतरनाक है। इसको जल्दी ही सही कराने की जरूरत है।
-दिव्या, छात्रा

फोटो कैप्शन-
जैसलमेर. सोनार किले की चिकनी हो रही घाटियां बन रही राहगीरों की मुसीबत
जैसलमेर. सोनार किले की घाटियों पर उधड़ा फर्श।
जैसलमेर. सोनार किले की नालियों पर लगे पत्थर उखड़ने से हादसे का बना हुआ है खतरा।