पोकरण कस्बेवासियों को पेयजल समस्या से राहत दिलाने के लिए सरकार की ओर से स्वीकृत पाइपलाइन बदलने का कार्य कागजों में ही अटका पड़ा है। एक वर्ष से पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि कस्बे में करीब 30-40 वर्ष पूर्व पाइपलाइनें बिछाई गई थी, जिससे कस्बे की पेयजल व्यवस्था चल रही है। तीन से चार दशक बीत जाने के बाद भी पाइपलाइनों को बदला नहीं गया है। ऐसे में आए दिन पाइपलाइनों के लीकेज हो जाने, लीकेज लाइन से गंदे पानी की आपूर्ति जैसी समस्याएं बनी हुई है। गत वर्ष राज्य सरकार की ओर से 37 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इस राशि से पूरे कस्बे में पुरानी पाइपलाइनों को बदलना था, लेकिन एक वर्ष बाद भी कार्य शुरू नहीं हो पाया है। गर्मियों के दो सीजन निकलने के बावजूद पाइपलाइनों को बदलने की योजना अभी तक स्वीकृति के फेर में उलझी हुई है।
गत वर्ष सरकार की ओर से पाइपलाइनों को बदलने के लिए 37 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई थी, जिसके बाद बजट भी आवंटित हो गया। जलदाय विभाग की ओर से निविदा प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन अभी तक पूर्ण नहीं हो पाई है। विभाग की ओर से कस्बे में सर्वे करवाकर डिजाइन तैयार की गई। जिसे अधिकृत करने के लिए उच्चाधिकारियों को भिजवाया गया। निविदा अनुमोदन व प्रक्रिया अटकी हुई पड़ी है।
योजना बनने व राशि आवंटित होने के बाद भी निविदा प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के कारण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण योजना अटकी पड़ी है, जबकि कस्बे में आए दिन पाइपलाइन लीकेज होने की समस्या बनी हुई है। बावजूद इसके जिम्मेदारों की ओर से कोई कवायद नहीं की जा रही है।
कस्बे में वर्षों पुरानी पाइप लाइनों को नहीं बदला गया है। ऐसे में आए दिन पाइपलाइनें लीकेज हो रही है। कई बार नाले-नालियों में पाइप लाइनों के लीकेज हो जाने की स्थिति में घरों में गंदे व बदबूदार पानी की आपूर्ति होने लगती है, जिससे आमजन को परेशानी हो रही है।
मालियों का बास व आसपास क्षेत्र में आए दिन पाइपलाइन लीकेज हो रही है, जिससे शुद्ध पानी व्यर्थ बह रहा है और घरों में आपूर्ति बाधित हो रही है। जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
Updated on:
20 Jun 2025 08:04 pm
Published on:
21 Jun 2025 10:01 pm