राज्य सरकार की ओर से कुछ वर्ष योजना स्वीकृत कर नगरीय क्षेत्रों में डामर सडक़ों का कार्य शुरू करवाया गया। कस्बे में गत 3 वर्षों से स्वीकृत 20 किलोमीटर की सडक़ें अभी तक पूर्ण नहीं हो पाई है।
राज्य सरकार की ओर से कुछ वर्ष योजना स्वीकृत कर नगरीय क्षेत्रों में डामर सडक़ों का कार्य शुरू करवाया गया। कस्बे में गत 3 वर्षों से स्वीकृत 20 किलोमीटर की सडक़ें अभी तक पूर्ण नहीं हो पाई है। हालात यह है कि 20 में से केवल 7.75 किलोमीटर की सडक़ें ही बन सकी है। ऐसे में नौ दिन चले ढाई कोष की कहावत चरितार्थ हो रही है। जानकारी के अनुसार 2021-22 में राज्य सरकार की ओर से बजट में नगरीय क्षेत्रों में डामर सडक़ों के निर्माण की योजना स्वीकृत की गई थी। जिसके अंतर्गत लगातार 3 वर्षों तक अलग-अलग सडक़ों की स्वीकृति मिली। कस्बे में 2023-24 के बजट में 20 किलोमीटर सडक़ों की स्वीकृति मिली थी। इसमें से 2 वर्ष में केवल 7.75 किलोमीटर सडक़ें ही बन सकी है। अभी तक 12.25 किलोमीटर सडक़ें बननी शेष है। सरकार की ओर से राशि स्वीकृति के बाद भी धीमी गति से चल रहे कार्य के कारण लोगों को फायदा नहीं मिल रहा है और कस्बेवासी क्षतिग्रस्त सडक़ों से आवागमन को मजबूर हो रहे है।
कस्बे में 2023-24 में 20 किलोमीटर की 46 सडक़ों की स्वीकृति दी गई थी। इनमें से 7.75 किलोमीटर की 16 सडक़ों का निर्माण करवा दिया गया है। 3 वर्ष बाद भी 12.25 किलोमीटर की 30 सडक़ों का निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है। ऐसे में सरकार की योजना व स्वीकृत की गई धनराशि का आमजन को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
नगरीय क्षेत्रों में सडक़ों के निर्माण के लिए सरकार की ओर से कस्बे में सार्वजनिक निर्माण विभाग को कार्य दिया गया। विभाग की ढिलाई और जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण 3 वर्ष बाद भी 20 किलोमीटर सडक़ें नहीं बन सकी है। जिसके कारण कस्बेवासी क्षतिग्रस्त सडक़ों से आवागमन को मजबूर हो रहे है। बावजूद इसके न तो जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जा रही है, न ही कोई कवायद हो रही है।
3 वर्ष पूर्व सडक़ों की स्वीकृति मिली थी। तंग गलियों में कार्य में कुछ परेशानी हो रही है। शीघ्र ही शेष सडक़ों का निर्माण करवा दिया जाएगा।