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Jaisalmer News- बोर्ड अध्यक्ष को पशुपालकों ने सुनाई खरी-खरी बात, फिर हुआ यह कि…

जनसुनवाई में खुला समस्याओं का पिटारा -राज्य पशुपालक बोर्ड के अध्यक्ष ने पशुपालकों की सुनी परिवेदनाएं

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जैसलमेर. राजस्थान राज्य पशुपालक बोर्ड के अध्यक्ष गोरधन राईका ने जैसलमेर की यात्रा के दौरान सर्किट हाउस जैसलमेर के दौरान जनसुनवाई कार्यक्रम के तहत पशुपालकों की परिवेदनाएं एवं समस्याएं सुनी एवं उनका निराकरण करने का पूरा भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार के पशुपालकों के उत्थान के लिए सदैव प्रयत्नशील है और उनके कल्याण के लिए अनेक योजनाओं का संचालन कर उनकों लाभान्वित किया जा रहा है। पशुपालक बोर्ड के अध्यक्ष राईका ने जनसुनवाई के दौरान पशुपालकों को कहा कि ऊंटनी का दूध स्वास्थ्य वर्धक है और इससे अनेक बीमारियों से बचा भी जा सकता है। जनसुनवाई के दौरान राज्य पशुपालक बोर्ड के सचिव अनिल मचिया, निजी सचिव टीएम खत्री, संयुक्त निदेशक पशुपालन रामजीलाल मीना, उपनिदेशक पशुपालन चावडा, समाजसेवी गुमानाराम राईका के साथ ही पशुपालक उपस्थित थे। उन्होंनें पशुपालकों को अपने बच्चों को शिक्षा अर्जित कराने पर भी जोर दिया एवं कहा कि जब उनके बच्चे शिक्षित होंगे तो वे पशुपालन व्यवसाय को और अधिक बेहतर ढंग से संचालित करेगें। उन्होंने कहा कि जिस पंचायत का सरपंच पशु चिकित्सालय के लिए भूमि आवंटन कर पट्टा जारी कर देगा तो वहां पर पशुपालकों की मांग पर पशु चिकित्सालय की स्वीकृति भी जारी करा दी जाएगी। उन्होंने जिले में ऐसी पंचायतें हो तो उसकी सूची बोर्ड को उपलब्ध कराने की बात कही।

IMAGE CREDIT: patrika

जनसुनवाई के दौरान धोलिया के पशुपालक बगडुराम विश्नोई, सांवता के गंगासिंह, सुमेरसिंह, हमीरा के बाबूसिंह, खाभा के मूलसिंह के साथ ही अन्य पशुपालकों ने बोर्ड के अध्यक्ष को अपनी समस्याओं से संबंधित प्रार्थना पत्र पेश करते हुए बताया कि उनके नर ऊंटों को मेलों में विक्रय करने की सुविधा उपलब्ध कराने, पशुओं की बीमारी के लिए अचला, सांवता, रासला, धोलिया, सांकडा, सत्ता, सत्तों में पशु चिकित्सा केम्प लगाने, एक भामाशाह कार्ड पर 5 पषुओं के स्वास्थ्य बीमा होने की संख्या की बढ़ोतरी कराने, गोचर भूमि का सीमांकन कराने की मांग की। बोर्ड के अध्यक्ष श्री राईका ने संयुक्त निदेशक पशुपालक को निर्देश दिए कि वे इन गांवों में शीघ्र ही पशु चिकित्सा केम्प लगाकर पषुओं का उपचार करावें। अध्यक्ष राईका ने पशुपालकों को बताया कि पंचायतों के माध्यम से गोचर भूमि पर लगे अग्रेजी बबूल की सफाई कराने का भी प्रावधान करने की योजना है, वहीं जिला प्रशासन के माध्यम से गोचर भूमि का सीमांकन कराने का भी विश्वास दिलाया।