
जैसलमेर नगरपरिषद राजस्थान के उन 49 स्थानीय निकायों में शामिल हैं, जहां निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल संपन्न हो गया है और अब वहां प्रशासनिक अधिकारी को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया है। जैसलमेर में यह जिम्मा अतिरिक्त कलक्टर को सौंपा गया है और ऐसे में मुन्नीराम बगडिय़ा ने गत दिनों प्रशासक का कामकाज औपचारिक तौर पर संभाल भी लिया लेकिन एक दिन बाद ही वे सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में अतिरिक्त कलक्टर के पद पर सरकार ने अगर तुरंत किसी आरएएस अधिकारी को पदस्थापित नहीं तो यह सवाल खड़ा हो जाएगा कि उनके स्थान पर नगरपरिषद में प्रशासक पद की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए ? दूसरी ओर नगरपरिषद में प्रशासनिक अधिकारी को प्रशासक लगाए जाने से अब वहां की सारी गतिविधियां सरकारी तंत्र के हाथों में आ गई है। यह स्थिति साल 1994 के नवम्बर-दिसम्बर माह से पहले वाली है। तब जैसलमेर में नगरपालिका अस्तित्व में थी और कलक्टर के जिम्मे इसकी समूची व्यवस्था होती थी। सर्वेसर्वा होते थे क्योंकि संविधान संशोधन के बाद निकाय के लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव 1994 के आखिरी समय में ही करवाए गए। उसके बाद से जैसलमेर नगरपालिका और बाद में क्रमोन्नत होकर नगरपरिषद में क्रमश: अध्यक्ष व सभापति चुने जाते रहे। एक बार को छोडकऱ निर्वाचित वार्ड पार्षद ही अध्यक्ष/सभापति को चुनते आए हैं। केवल एक बार 2009 में अध्यक्ष का चुनाव सीधे तौर पर हुआ था और उसमें कांग्रेस के अशोक तंवर निर्वाचित हुए। इसके बाद से निकाय प्रमुख का चुनाव कभी प्रत्यक्ष प्रणाली से नहीं करवाया गया।
कुल मिलाकर तीन दशक बाद स्थानीय निकाय की कमान प्रशासन के हाथ में आई है और जनता के चुने हुए नुमाइंदों की इसके संचालन में किसी तरह का दखल नहीं होने के चलते आमजन के साथ पूर्व में निर्वाचित हो चुके पार्षद आदि भी समझ नहीं पा रहे हैं कि अब कामकाज किस तरह से होगा? यह असमंजता इतनी हावी है कि लोग पुराने कार्मिकों से इस बारे में सवाल जवाब करते हैं। हालांकि नगरपरिषद के अमले में भी ऐसे लोग शायद ही बचे हैं, जिन्होंने ज्ञापित क्षेत्र समिति के दौर में काम किया हो। यहां लोगों को एक भय यह भी सता रहा है कि जनप्रतिनिधियों के व्यवस्था से बाहर होने के कारण कहीं सरकारी तंत्र निरंकुश ढंग से काम न करने लगे?
हाल में 45 सदस्यीय जिस बोर्ड का कार्यकाल संपन्न हुआ है, उसके निर्वाचित सदस्यों सहित पूर्व में चुनाव जीतने में विफल रहे लोग व नए आकांक्षी आगामी परिषद चुनाव की तैयारियों में जुटने लगे हैं। वे वार्डों में अपने लिए संभावनाएं टटोल रहे हैं। गौरतलब है कि आगामी चार महीनों में वार्डों के पुनर्सीमांकन और मतदाता सूचियों का काम चलेगा। उसके बाद सरकार आगामी निर्णय लेगी
Published on:
29 Nov 2024 11:47 pm
बड़ी खबरें
View Allजैसलमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
