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JAISALMER NEWS- अनियमितताओं की जांच को लेकर ग्रामीणों ने शुरू किया गांधीवादी आंदोलन

अतिक्रमण हटाने व निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की जांच की मांग को लेकर धरना शुरू  

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मदासर (पोकरण). गांव में सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने व ग्राम पंचायत की ओर से निर्माण कार्यों में की जा रही अनियमितताओं की जांच की मांग को लेकर ग्रामीणों ने शनिवार को अटल सेवा केन्द्र पर धरना शुरू किया। ग्रामीणों ने बताया कि लम्बे समय से गोचर व वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है, लेकिन विभाग की ओर से उन्हें हटाने के लिए कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने ग्राम पंचायत की ओर से टांका निर्माण, ग्रेवल सडक़ व पुलिया निर्माण में की जा रही अनियमितताओं की जांच करने, राजस्थान संपर्क पोर्टल पर दर्ज ग्राम पंचायत क्षेत्र के परिवादों का निराकरण करने पुलिस थाना नोख में ग्रामवासियों के विरुद्ध झूठे मुकदमे रद्द करने, गांव में राशन डीलर की ओर से चार माह से राशन सामग्री वितरण नहीं करने जैसे प्रकरणों की जांच की मांग को लेकर धरना शुरू किया।

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समस्याओं के निराकरण की मांग
पोकरण. राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री प्रकाश विश्रोई ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर जैसलमेर जिले में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय की जांच करने व जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक की ओर से की गई काउंसलिंग को निरस्त करने की मांग की है। प्रदेश मंत्री विश्रोई ने अपने ज्ञापन में बताया कि जिले में शिक्षा विभाग में गत लम्बे समय से अराजकता का माहौल बना हुआ है। उन्होंने बताया कि गत दिनों जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक की ओर से किए गए तबादलों में विशेष रूप से दलित व मुस्लिम वर्ग के कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया गया है। इसके अलावा दिव्यांगों, असाध्य रोग से पीडि़त महिलाओं को दूरस्थ स्थानों पर भेजकर प्रताडि़त किया जा रहा है। प्रारंभिक शिक्षा के कर्मचारियों के तबादले भी माध्यमिक शिक्षा में किए गए है, जो नियम विरुद्ध है।उन्होंने बताया कि शुक्रवार को डीईओ माध्यमिक की ओर से 44 शिक्षकों की 6 डी में काउंसलिंग की गई।जिसके अंतर्गत सांकड़ा ब्लॉक में मात्र एक पद दिखाया गया। जबकि अंतरजिला सूची से कई पद रिक्त हो गए है। उन्होंने बताया कि जिले में महिला शिक्षकों का सांकड़ा पंचायत समिति से सम पंचायत समिति में तबादला किया गया है। जबकि सांकड़ा समिति क्षेत्र में नजदीक विद्यालयों में पद रिक्त पड़े है। बावजूद इसके महिला शिक्षकों को जान बूझकर 200 किमी दूर भेजा गया है, जो न्यायोचित नहीं है। उन्होंने मामले की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है।


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