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नहीं हो रहा बरसाती जल संग्रहण स्थलों का संरक्षण
जैसलमेर (पोकरण). कस्बे के गंदे पानी के नाले व सीवरेज लाइनें लाकर छोड़ दिए जाने के कारण न केवल इन नदियों में गंदा पानी जमा पड़ा है, बल्कि बारिश के दौरान यह गंदा पानी, कचरा व मलबा भी तालाबों व जलग्रहण क्षेत्रों में जाकर जमा हो जाता है। ऐसे में उन परंपरागत पेयजल स्त्रोतों में भी गंदगी जमा हो जाने से बारिश का पानी बुरी तरह से दूषित हो जाता है। गौरतलब है कि कस्बे में दो बड़ी नदियां है, जिसमें बारिश के दौरान बहकर आने वाला पानी जलस्त्रोतों में जमा होता है। यहां सबसे बड़ी नदी बीलिया नदी है। ऐसे में बीलिया गांव व आशापुरा क्षेत्र से बहकर बारिश का पानी आता है तथा यह पानी कस्बे के परंपरागत सबसे बड़े पेयजल स्त्रोत सालमसागर तालाब में आकर जमा होता है।
इसी तरह दूसरी नदी तोलाबेरा नदी है, जिसमें कस्बे के उत्तर की तरफ स्थित पहाड़ी, गोमट गांव, रामदेवसर व सालमसागर तालाब के ओवरफ्लो से बारिश के दौरान बहकर आने वाला पानी इस नदी के माध्यम से पूर्व दिशा में स्थित खड़ीनों में जाकर जमा होता है। यहां बरसाती नदी की जगह गंदे पानी के नाले बनकर रह गई है। यहां आधे से अधिक कस्बे का गंदा पानी आकर इक_ा होता है, जो झील की तरह खुला पड़ा है। ऐसे में नदी के आसपास निवास कर रहे लोगों का यहां रहना मुश्किल हो रहा है।
मोहल्लों का कचरा भी नदी में
कस्बे के वार्ड संख्या एक, चार से 10 तक तथा वार्ड संख्या 19 व 20 वार्डों से प्रतिदिन बहकर आने वाले गंदे पानी की निकासी के लिए नगरपालिका की ओर से अन्य कोई पक्के नाले की व्यवस्था नहीं किए जाने से सभी वार्डों का पानी तोलाबेरा नदी में आकर जमा हो जाता है, जो गंदे पानी की झील के रूप में परेशानी का सबब बना हुआ है।
Published on:
04 Jan 2018 11:32 am
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