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जालौन में इंद्रदेव को प्रसन्न करने को खेतों में जुटे किसान, सदियों पुरानी परंपरा आज भी बरकरार

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के डकोर ब्लॉक के एक गांव में किसानों ने परंपरागत ढंग से इंद्रदेव की पूजा की। खेतों में बेहतर वर्षा और समृद्ध फसल की कामना को लेकर किसानों ने सामूहिक रूप से भूमि पूजन किया।

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jalaun news

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आधुनिकता की दौड़ में एक तरफ जहां नई पीढ़ी पुरानी परंपराओं से दूर हो रही है तो दूसरी ओर बुंदेलखंड के किसान आज भी प्रकृति पूजा की परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं।

कैसे होती है इंद्रदेव की पूजा

किसानों ने खेतों में पूजा-अर्चना के लिए मिट्टी के घड़ों में जल, मिष्ठान और अन्य पूजन सामग्री लेकर एकत्र होकर परंपरा का निर्वहन किया। ग्रामीणों का मानना है कि आषाढ़ की परेवा पर इंद्रदेव की आराधना करने से समय पर अच्छी वर्षा होती है, जिससे फसलें लहलहाती हैं और किसानों को सुख-समृद्धि मिलती है।


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इस अवसर पर हल और ट्रैक्टरों को टीका लगाकर खेत में ले जाने की रस्म अदा की गई। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि पहले बैलों को सजाकर पूजा की जाती थी, अब यंत्रों ने भले ही स्थान ले लिया हो, लेकिन श्रद्धा और परंपरा में कोई कमी नहीं आई है। परंपरा के अनुसार पूजा के बाद सभी किसानों के बीच प्रसाद स्वरूप बताशे बांटे गए।

शुभ मुहूर्त में पूजा संपन्न

आचार्यों द्वारा शुभ मुहूर्त में पूजा संपन्न कराई गई, जिसमें पारंपरिक मंगल गीतों के साथ वर्षा की कामना की गई। इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि कृषि आधारित समाज में प्रकृति और देवताओं के प्रति आस्था आज भी उतनी ही मजबूत है जितनी वर्षों पहले थी।

यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के सह-अस्तित्व का प्रतीक है। किसान मानते हैं कि ऐसी पूजा से न सिर्फ मौसम अनुकूल रहता है बल्कि खेतों में बेहतर उत्पादन भी होता है।