नाग पंचमी कब है (Nag Panchami Kab Hai)
जालौन निवासी ज्योतिषाचार्य राजेन्द्र तिवारी का कहना है कि भारतीय हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami) का त्योहार हरसाल बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक नागपंचमी हर साल जुलाई या अगस्त महीने में आती है। इस बार नाग पंचमी 05 अगस्त दिन सोमवार पड़ रही है। सोमवार के दिन नाग पंचमीं का पड़ना बहुत ही शुभ माना गया है। दरअसल, सोमवार को भगवान शिव शंकर का दिन माना जाता है। यही वजह है कि सोमवार के दिन पड़ने से इस बार की नाग पंचमी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
नाग पंचमीं शुभ मुहूर्त (Nag Panchami Shubh Muhurat)
नाग पंचमी तिथि 4 दिन रविवार रात 12.19 बजे से 5 अगस्त दिन सोमवार को 09.25 बजे तक रहेगी।
नाग पंचमी की पूजा का मुहूर्त 5 अगस्त दिन सोमवार को सुबह 06.29 बजे से 08.41 बजे तक रहेगा।
नाग पंचमी पूजा विधि (Nag Panchami Puja Vidhi)
1. नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान करके घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं।
2. नाग पंचमी के दिन मन में व्रत का सकंल्प लें।
3. नाग देवता का आह्वान कर उन्हें बैठने के लिए आसन दें।
4. फिर जल, पुष्प और चंदन का अर्घ्य दें।
5. दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान चढ़ाएं।
6. फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें।
7. नाग पंचमी की पूजा का मंत्र इस प्रकार है : “ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा”!!
8. शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा कर व्रत तोड़ें और फलाहार ग्रहण करें।
नाग पंचमी की कथा
नाग पंचमी (Nag Panchami) की पूजा को भगवान कृष्ण से भी जोड़कर देखा जाता है। लोक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के मामा ने उन्हें मारने के लिए कालिया नाम का नाग भेजा। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिए नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया। कृष्ण के आगे नाग की एक न चली। उसने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वो गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और वहां से हमेशा-हमेशा के लिए चला जाएगा। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
नाग पंचमी का महत्व (Nag Panchami Ka Mahatva)
शास्त्रों के अनुसार दिन्दू धर्म में सांप को नाग को देवता की संज्ञा दी जाती है और उनकी पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। दरअसल हिन्दू धर्म में नाग को आदि देव भगवान शिव शंकर के गले का हार और सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु की शैय्या माना जाता है। इसके अलावा नागों का लोगों के जीवन से भी गहरा नाता है। सावन माह में जमकर वर्षा होती है, जिस वजह से नाग जमीन के अंदर से निकलकर बाहर आ जाते हैं। ऐसे में माना जाता है कि अगर नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। यही नहीं कुंडली दोष को दूर करने के लिए भी नागपंचमी (Nag Panchami) का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करने से इस दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।