
मेघाराम मेघवाल/बागोड़ा (जालोर) । दुनिया के हर मां-बाप अपनी संतान को हंसता खेलता देखना चाहते हैं। उनकी ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चों को दुनिया की सारी खुशियां मिले, लेकिन भगवान की लीला के आगे कोई कुछ नहीं कर सकता है। बागोडा उपखण्ड से तेरह किलोमीटर दूर नवापुरा ग्राम पंचायत के वाटेरा गांव में 70 साल की वृद्धा मथरा देवी पर अपने 33 साल के मानसिक विक्षिप्त बेटे पूराराम के भरण पोषण की जिम्मेदारी आ गई है।
मथरादेवी के पति की मौत करीब तीस साल पूर्व हो चुकी है। शुरुआत में तो बेटा ठीक था, लेकिन कुछ साल बाद ही वह पागलों जैसी हरकतें करने लगा। मां ने जमीन गिरवी रखकर झाड़ फूंक के अलावा उसे जोधपुर ले जाकर इलाज करवाया। उसके बाद करीब तीन साल तक तो बेटा सही रहा, लेकिन फिर से पागलों जैसी हकरते करने लगा। मुफलिसी के चलते दूसरी बार उसके लिए इलाज करवाना मुश्किल हो गया है।
ऐसे में मानसिक रूप से बीमार बेटे को मां ने जंजीर लगाकर पेड़ से बांध दिया। उसे पिछले कई सालों से पेड़ से जंजीरों में बांध कर रखा है। मां का कहना है कि बेटा मानसिक रोगी है। वह चीजों को नुकसान पहुंचाता है और मारपीट करता है, इसलिए उसे जंजीरों से बांधकर रखना उनकी मजबूरी है। जंजीर में जकड़े होने के चलते वह दिन में घंटों तक खड़ा ही रहता है।
उसके पैरों में बेड़ियों की वजह से काले निशान तक पड़ चुके हैं। वह नारकीय जिंदगी जी रहा है। चाहे बारिश हो या गर्मी या सर्दी, वह रात दिन खुले आसमान तले जिंदगी जी रहा है। इस परिवार को कई जनप्रतिनिधि सरकारी योजना में सहायता करने का आश्वासन देकर चले गए, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। उम्र 70 पार होने से अब मां का भी शरीर जवाब देने लगा है। बावजूद, वह जैसे तैसे मेहनत मजदूरी कर अपना व अपने बेटे का पेट पाल रही है।
यह परिवार वैसे तो बीपीएल श्रेणी में शामिल है, लेकिन सहायता के नाम पर केवल महिला को वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है। वृद्धा मथरा देवी पत्नी गोरखाराम भील ने बताया कि उसके परिवार में वह और उसका बेटा बीपीएल सूची में चयनित है। तीन बेटियों की शादी हो चुकी है। बेटे के तन पर कोई वस्त्र भी नहीं है। पहनाने पर वह वस्त्रों को फाड़कर फेंक देता है। वृद्धा के इस बेटे को न तो सरकारी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है, और न ही सरकार की ओर से उपचार हो पा रहा है।
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मथरादेवी के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर लाभ दिलाएंगे। पूराराम के इलाज की भी कोशिश करेंगे।
मेरा बेटा कई साल से जंजीरों में जकड़ा हुआ है। इनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। प्रशासन उपचार करवाने के लिए आगे आए तो मेरे बेटे को नारकीय जीवन से मुक्ति मिल सकती है।
Updated on:
19 Mar 2025 02:52 pm
Published on:
19 Mar 2025 02:51 pm
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