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80 की उम्र में चुतराराम की याददास्त ऐसी की फर्राटे से बता देंते हैं सभी राज्य और जिलों के नाम

15 सैकंड में सभी राज्यों-जिलों का नाम बोल देते हैं 8० साल के चुतराराम

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15 सैकंड में सभी राज्यों-जिलों का नाम बोल देते हैं 8० साल के चुतराराम



सांचौर. उम्र के आखिरी पड़ाव में हर किसी की याददाश्त कमजोर होने के साथ उसकी दिनचर्या भी गड़बड़ा जाती है, लेकिन क्षेत्र के मालवाड़ा निवासी ८० वर्षीय बुजुर्ग चुतराराम बिश्नोई इस उम्र में भी अपनी स्मरण शक्ति और हौसले से युवाओं को मात दे रहे हैं।
बिश्नोई की स्मरण शक्ति इतनी तेज है कि उन्हें सामान्य ज्ञान सहित समसामयिकी घटनाएं मुख जुबानी याद है। वहीं सिर्फ १५ सैंकड में भारत के सभी राज्यों व राजस्थान के जिलों के नाम फर्राटे से बोल देते हैं। इस उम्र में भी उनके बोलने की शैली युवाओं के लिए प्रेरणा बन रही है। बिश्नोई अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए टीवी के बजाय आज भी नियमित रूप से रेडियो सुनते हैं।
अल सवेरे नहाना और पैदल चलना है इनकी दिनचर्या
मालवाड़ा निवासी इस बुजर्ग की कहानी सैकड़ों बुजुर्गों का हौसला बढ़ाने वाली है। बिश्नोई की स्मरण शक्ति तो तेज है ही। साथ ही साथ उनकी दिनचर्या भी औरों से काफी अलग है। नशे का सेवन तो दूर चाय तक का स्वाद नहीं चखा। चाहे सर्दी हो या गर्मी अल सवेरे ५ बजे उठकर शीलत जल से स्नान इत्यादि क्रियाओं से निवृत्त होने के साथ ही उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है। वहीं गांव से बाहर जाने के लिए ज्यादातर वाहन के बजाय पैदल चलकर गंतव्य तक पहुंचना उनकी आदत सी बन गई है।
स्कूल नहीं गए, अंग्रेजी में करते हैं साइन
मालवाड़ा निवासी बिश्नोई बताते हैं कि उन्होंने कभी स्कूल देखा ही नहीं। उनके जमाने में स्कूल दूर-दूर हुआ करते थे। शिक्षा के प्रति जागृति भी नहीं थी। फिर भी उनकी शिक्षा के प्रति जिज्ञासाएं थी और बिना स्कूल गए उन्होंने अकेले ही बहुत कुछ सीखा। बिश्नोईअंगे्रजी में हस्ताक्षर कर लेते हैं और अंग्रेजी में बोल भी लेते हैं। वहीं सामान्य ज्ञान से जुड़ी बातें जानना उनका शौक है।
एक सांस में बोल जाते हैं जिलों व राज्यों का नाम
प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले युवाओं को भी अगर एक ही बार में राज्य के जिलों या देश के राज्यों के नाम बोलने का कह दिया जाए तो वे भी अटक जाएंगे, लेकिन ८० वर्षीय बिश्नोई फर्राटे के साथ १५ सैंकड में ही राज्य के जिलों व देश के राज्यों का नाम बोल लेते हैं।
इनका कहना है...
शुरुआत से ही मेरी पढ़ाई को लेकर काफी रुचि थी, लेकिन उस समय पढ़ाई का माहौल नहीं था। ऐसे में मैं शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाया। सामान्य ज्ञान से जुड़ी बातों को जानना आज भी मेरा शौक है। दिनचर्या ऐसी बन गई है कि ८० वर्ष की उम्र पूरी करने के बावजूद थकान का आभास नहीं होता है।
-चुतराराम बिश्नोई,
बुजुर्ग मालवाड़ा


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