
स्कूल भवन। फाइल फोटो- पत्रिका
बागोड़ा। शिक्षा के क्षेत्र में भामाशाहों की भूमिका को सशक्त रूप देते हुए दादाल के मूल निवासी एवं प्रवासी चिकित्सक डॉ. अशोक जैन ने अपने गांव को ऐतिहासिक सौगात दी। करीब 7 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित, पुरानी संसद की तर्ज पर बने भव्य सरकारी विद्यालय भवन का विधिवत लोकार्पण किया गया।
उद्घाटन समारोह में कैबिनेट मंत्री गौतम जैन, केके बिश्नोई, जोगेश्वर गर्ग, तारातरा मठ के महंत एवं पोकरण विधायक प्रतापपुरी, जिला उपाध्यक्ष उदय सिंह परमार, जिला कलक्टर प्रदीप के. गवांडे सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। मंत्रियों ने अपने संबोधन में शिक्षा को समाज की रीढ़ बताते हुए कहा कि राजस्थान में भामाशाहों की कोई कमी नहीं है, जरूरत उन्हें प्रेरित करने की है। डॉ. अशोक जैन का उदाहरण देते हुए कहा गया कि यदि हर गांव में ऐसे भामाशाह आगे आएं, तो प्रदेश की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती हैं।
डॉ. अशोक जैन वर्तमान में पिछले 30 साल से अमरीका में 'किड्स केयर' नामक 65 अस्पतालों का सफल संचालन कर रहे हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कक्षा तीन तक दादाल स्थित इसी सरकारी विद्यालय में पेड़ के नीचे बैठकर प्राप्त की थी। उस समय विद्यालय में कक्षा-कक्षों और मूलभूत सुविधाओं का अभाव था। बचपन के वे अनुभव और गांव के प्रति जुड़ाव उनके मन में हमेशा बना रहा, जिसने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा दी।
डॉ. जैन ने बताया कि उनके पिता की इच्छा थी कि गांव के विद्यालय में पक्के कमरे बनवाए जाएं, ताकि बच्चों को बेहतर वातावरण मिल सके। इस पर उनकी माता ने कहा कि केवल कमरे नहीं, बल्कि पूरा विद्यालय भवन बनवाकर सरकार को समर्पित किया जाए। माता-पिता की इसी सोच और संस्कारों को साकार करते हुए उन्होंने आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य विद्यालय भवन का निर्माण करवाया, जिसे अब सरकारी विद्यालय के रूप में विद्यार्थियों को समर्पित किया गया है।
कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया, जब डॉ. अशोक जैन ने अपने 92 वर्षीय पूर्व शिक्षक एवं भीनमाल के पूर्व प्रधान राजपूत मोहबत सिंह चौहान (बागोड़ा) का सम्मान किया। घोड़े पर बैठकर पढ़ाने आने वाले इस शिक्षक के चरण छूते हुए डॉ. जैन भावुक हो गए। गुरु-शिष्य का यह मिलन उपस्थित जनसमूह की आंखें नम कर गया।
भामाशाह डॉ. अशोक जैन ने बताया कि स्कूल भवन निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता थी। इसके लिए वे मलसिंह के परिवार के पास गए और तीन बीघा भूमि की मांग की। जब उनसे मूल्य पूछा गया, तो परिवार ने कहा कि आप स्कूल बनाकर दे रहे हैं, तो हम भी राजपूत हैं, भूमि बेचते नहीं, विद्यालय भवन निर्माण के लिए भूमि दान करेंगे। इस प्रकार भूमि दान करने वाले दानदाता भवसिंह, बलवंतसिंह और छैलसिंह का सम्मान किया गया।
गांव में उत्सव का माहौल रहा। कालबेलिया नृत्य सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दादाल गांव के लिए यह विद्यालय भवन न केवल शिक्षा का केंद्र बनेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक भी सिद्ध होगा।
Updated on:
23 Dec 2025 02:48 pm
Published on:
23 Dec 2025 02:41 pm
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