
जवाई बांध के पानी पर हक निर्धारण और प्रवाह क्षेत्र में पानी छोड़ने की मांग को लेकर जारी किसान आंदोलन में 25 दिन बाद धरना स्थल पर विवाद गहराया। आंदोलन में भारतीय किसान संघ के साथ शिव सेना संगठन भी पिछले कुछ दिनों से सहभागिता निभा रहा था। इस बीच आंदोलन में दो फाड़ हो गए।
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने कहा कि धरना स्थल पर चुनाव लड़ने का एजेंडा नहीं चलेगा। नोंकझोक के बीच शिव सेना पदाधिकारी रूपराज पुरोहित भावुक हो गए और रोने लगे। आरोप लगाया कि जालोर में चल रहा धरना किसानों के हित को ध्यान में रखकर नहीं स्थगित किया जा रहा, बल्कि सरकार के दबाव में स्थगित किया जा रहा है। पुरोहित ने कहा कि यह राजनीतिक विषय नहीं, बल्कि जनता के हित से जुड़ा मुद्दा है और इसीलिए शिव सेना जुड़ी है।
शिव सेना ने राजनीतिक महात्वाकांक्षा के चलते यह सब कुछ किया गया। सरकार के स्तर से जालोर के हित में सकारात्मक संदेश मिलने पर ही धरना स्थगित किया गया है। जवाई बांध से जुड़े जालोर के हित पर और माही परियोजना से जालोर को लाभान्वित करने के लिए पहल हुई है। इन सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए ही धरना स्थगित किया गया।
किसानों के हित से कई अधिक यह धरना राजनीतिक दवाब के कारण रोका गया है। जालोर की जनता के साथ धोखा है। हमनें 25 दिन तक किसानों के हित में धरना दिया, लेकिन भारतीय किसान संघ ने यह धरना दबाव में आंदोलन को रोक कर किसानों की भावनाओं के साथ छल किया है। जालोर के लिए जवाई जैसे मुद्दे पर इस बार भी केवल आश्वासन पर धरना स्थगित किया गया, जो गलत है।
Published on:
16 Dec 2024 03:15 pm
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