
जालोर. सेहत बनाने के लिए दवा पर भरोसा जताना भारी पड़ रहा है। बीमारी की हालत से उबरने के बाद आमतौर पर लोग प्रोटीन पाउडर पीते हैं, लेकिन यह खतरनाक हो सकता है। यह सब दवा कंपनियों की दगाबाजी के कारण हो रहा है। सब स्टैंडर्ड टाइप की दवाइयां बाजार में उतारने से मरीजों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। मामले का खुलासा खाद्य विभाग की सैम्पल रिपोर्ट में हुआ है। करीब 11 माह पहले दो अलग-अलग जगहों से इस तरह के सैम्पल लिए गए थे, जो अवमानक पाए गए। दोनों ही सैम्पल फार्मा कंपनियों की ओर से बाजार में उतारे गए पाउडर के हैं। जिसमें से एक प्रोटीन व दूसरा दूध पाउडर था।
सेहत बनेगी नहीं, बिगड़ेगी
गर्भवती एवं बीमारी के बाद कुछ हद तक जल्द आराम पाने के लिए डॉक्टर प्रोटीन पाउडर पीने की सलाह देते हैं। गर्भवती के उपचार की पर्ची में अधिकतर प्रोटीन पाउडर लिखा मिलेगा। कई लोग सेहत के नाम पर बच्चों को पाउडर से बना दूध पिलाना ही ठीक मानते हैं। लेकिन, इस तरह के पाउडरसेहत बनाने के बजाय बिगाडऩे का काम कर रहे हैं।
केस-१
गत 14 सितम्बर,2016 को भीनमान में मेहता चिल्ड्रन हॉस्पीटल से रेप्टाकॉश ब्रिट कंपनी के जीरोलॅक दूध पाउडर का सैम्पल लिया। अवमानक पाए जाने पर अस्पताल संचालक प्रमिला मेहता पत्नी निर्मल मेहता, जोधपुर से डीलर धारीवाल मेडिकल एजेंसी के अरुण धारीवाल व कंपनी प्रतिनिधि जयपुर के संदीप अयाचित के खिलाफ में चालान पेश किया गया।
केस-२
गत 18 सितम्बर, 2016 को भीनमाल में शिवम मेडिकल से अलकेम कंपनी के लाइको लाइफ प्रोटीन पाउडर का सैम्पल लिया गया। जांच रिपोर्ट में सैम्पल अवमानक पाए जाने पर दुकान संचालक रमेश कुमार पुत्र सांवलाराम शर्मा, जयपुर के डिस्ट्रीब्यूटर आमिर मिस्राल व कंपनी प्रतिनिधि मोहाली पंजाब के नवीन खन्ना के खिलाफ चालान पेश किया गया।
जुर्माना भारी-भरकम
खाद्य विभाग ने सब स्टैंडर्ड एवं मिस ब्रांडेड के तौर पर इसकी अलग-अलग व्याख्या कर रखी है। इसके तहत इस तरह के मामलों में आरोपित से तीन से पांच लाख रुपए जुर्माना तक वसूला जा सकता है।
कार्रवाई के नियम
सैम्पल फेल होना खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एवं नियम 2011 की धारा 26 की उपधारा २ (२) का उल्लंघन है। वही नियम 2011 की धारा 51 व 52 के तहत जुर्माना वसूलने का प्रावधान है।
सैम्पल अवमानक मिले हैं...
करीब 11 माह पहले भीनमाल में दो अलग-अलग जगहों से प्रोटीन व दूध पाउडर के सैम्पल लिए थे। रिपोर्ट में अवमानक पाए गए हैं।इस पर दोनों ही मामले बनाकर न्यायालय में चालान पेश किया है।
-गजेंद्रकुमार सिंघल, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, जालोर
Published on:
25 Aug 2017 12:59 pm
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