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सामने ही पड़े बजरी के ढेर और मूकदर्शक बने जिम्मेदार

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सामने ही पड़े बजरी के ढेर और मूकदर्शक बने जिम्मेदार

सामने ही पड़े बजरी के ढेर और मूकदर्शक बने जिम्मेदार

अधिकारियों की निगरानी में बजरी का अवैध इस्तेमाल, रोकथाम के बावजूद सरकारी कार्यों में चल रही बजरी


जालोर/रानीवाड़ा. कहने को बजरी के खनन व परिवहन पर रोक है, लेकिन आसानी से उपयोग हो रहा है। निजी तो निजी सरकारी कार्यों में भी बजरी थोक के रूप में इस्तेमाल हो रही है। समय-समय पर इन कार्यों की निगरानी करने के लिए अधिकारी भी आते हैं, लेकिन बजरी के अवैध इस्तेमाल को लेकर चुप ही है। रानीवाड़ा में तहसील भवन एवं विद्यालय में कक्ष निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों में बजरी का इस्तेमाल तो हुआ ही है मौके पर भी बजरी के ढेर पड़े हुए हैं। तहसील भवन का निर्माण पीडब्ल्यूडी के अधीन तो कक्ष निर्माण रमसा के अधीन किया जा रहा है, लेकिन दोनों ही विभागों के अधिकारी इस मामले में मूकदर्शक ही बने हुए हैं। तहसील भवन का निर्माण तो उपखंड अधिकारी कार्यालय के नजदीक ही हो रहा है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर भी बजरी के अवैध उपयोग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। बताया जा रहा है कि खनन विभाग तो इस ओर कभी झांकता तक नहीं। रमसा के जेइएन दीपाराम बिश्नोई दीपाराम बिश्नोई ने बताया कि निर्माण कार्य में बजरी की व्यवस्था ठेकेदार ही करता है।


जमकर हो रहा अवैध खनन
रानीवाड़ा क्षेत्र में जिम्मेदारों की चुप्पी में अवैध खननकर्ता चांदी काट रहे हैं। यहां बजरी का अवैध रूप से जमकर खनन किया जा रहा है। क्षेत्र में कई जगह नदी-नालों से रात-दिन बजरी निकाली जा रही है, जिससे नदियों का स्वरूप भी बिगड़ रहा है।


न खनन पर कार्रवाई और न स्टॉक पर
बताया जा रहा है कि रानीवाड़ा कस्बे के आसपास ही सड़क किनारे कई जगह बजरी के ढेर लगे हुए हैं। कई लोगों ने अवैध रूप से खनन कर बजरी का स्टॉक भी कर रखा है। इसे ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। लेकिन, खनन के दौरान या स्टॉक पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। ऐसे में अवैध खननकर्ताओं की मौज हो रही है।


कोई चारा नहीं है...
निर्माण कार्य में बजरी का इस्तेमाल तो करना ही पड़ता है। इसके अलावा कोई चारा नहीं है।
- रतन बंसल,सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी, भीनमाल