
- विभागीय दावों के बावजूद सांचौर में घटा लिंगानुपात
सांचौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से घटते लिंगानुपात की स्थिति को सुधारने को लेकर भले ही लाख दावे किए जा रहे हैं, लेकिन चिकित्सा विभाग के बीते दो साल के आंकड़ों पर गौर करें तो सांचौर क्षेत्र में इन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है।
गौरतलब है कि जिलेभर में बीते दो साल में कन्या भ्रूण हत्या व बेटी बचाओ सहित कई जागरूकता अभियान चलाए गए, लेकिन वर्ष २०१६-१७ में ५९१२ बेटों पर ५६७१ बेटियों ने ही जन्म लिया है। वहीं अप्रेल २०१७ से ३१ जनवरी २०१८ तक ४९७५ बेटों पर ४६४४ बेटियों ने जन्म लिया।
खास बात तो यह है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में लिंगानुपात बढ़ा है। सरकारी प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर हुए प्रसव में बेटों की तुलना बेटियों ने ज्यादा जन्म लिया। वहीं निजी अस्पतालों में बेटियों के मुकाबले बेटों का अनुपात ज्यादा है।
दो साल कम जन्मी ५७२ बेटियां
क्षेत्र में बीते दो साल में बेटों की तुलना में ५७२ बेटियां कम जन्मी। इसकी वजह क्या रही, इसका किसी भी अधिकारी के पास जबाब तक नहीं है। ऐसे में इसको लेकर विभाग गम्भीर नहीं हुआ तो आने वाले समय में यह अंतर और भी बढ़ सकता है। हालांकि इसकी मुख्य वजह बेटों को प्रधानता, अशिक्षा व रूढ़ीवादिता की धारणा मानी जा रही है, लेकिन इस अंतर को कम करने के लिए विभाग को प्रभावी तरीके से कार्य करने की जरूरत है।
बीते दो साल में बेटियों का अनुपात कम
क्षेत्र में निजी अस्पतालों में हुए प्रसव के दो साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो इनमें बेटों की तुलना में बेटियों ने कम जन्म लिया है। पीएचसी व सीएचसी के आंकड़ों में यह अनुपात विपरीत है। जिसमें बेटियों ने सरकारी अस्पतालों में ज्यादा जन्म लिया है। वर्ष २०१७ में ३३१ व २०१८ में २४१ बेटियों बेटों के अनुपात में कम पैदा हुई। सोनोग्राफी सेंटर्स पर इस प्रकार की जांच के लिए संचालक इंटरनेट, ऑनलाइन या टेक्नीकल सहित कई बहाने बताकर भू्रण ***** जांच करते हैं।
इनका कहना है...
सोनोग्राफी सेंटर्स पर जांच के लिए अलग से टीम बनी होती है जो सूचना पर कार्रवाई करती है। घटता लिंगानुपात प्रदेश की समस्या है। सरकार इसको लेकर कई योजनाएं भी चला रही है। वैसे सोनोग्राफी सेंटर्स पर ***** जांच की सूचना विभाग को देने पर २५ हजार रुपए का ईनाम भी दिया जाता है।
-डॉ. वीडी जोशी, बीसीएमओ, सांचौर
Published on:
05 Mar 2018 10:23 am
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