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सुरा पर कोरोना ने मारी कुंडली तो उतरी खुमारी

- पहले जनता कफ्र्यू और उसके बाद अब लॉक डाउन में बने हालात, शराब के शौकीन परेशानी में पुलिस का सख्त पहरा, दूसरी तरफ दुकानें भी बंद

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- पहले जनता कफ्र्यू और उसके बाद अब लॉक डाउन में बने हालात, शराब के शौकीन परेशानी में पुलिस का सख्त पहरा, दूसरी तरफ दुकानें भी बंद

- पहले जनता कफ्र्यू और उसके बाद अब लॉक डाउन में बने हालात, शराब के शौकीन परेशानी में पुलिस का सख्त पहरा, दूसरी तरफ दुकानें भी बंद

फैक्ट फाइल
9 हजार 906 बल्क लीटर प्रतिदिन होता था अंगे्रजी शराब का उठाव
13 हजार 346 बल्क लीटर प्रतिदिन होता था बीयर का उठाव
8 लाख 91 हजार बल्क लीटर अंग्रेजी शराब की का उठाव हुआ था तिमाही में
4 लाख 78 हजार बल्क लीटर देसी शराब का उठाव केवल फरवरी में

जालोर. कोरोना की मार ने आर्थिक क्षेत्र को पूरी तरह ेसे प्रभावित किया है और इस महामारी ने शराब के व्यापार तक को नहीं छोड़ा। यह पहला मौका है जब नशे के आदी और मुख्य रूप से शराब के शौकीन भी शराब नहीं मिलने मदहोशी की स्थिति से बाहर है।विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह पहला मौका जब लगातार 4 दिन तक इस तरह से शराब का व्यापार प्रभावित हुआ है और आगे भी इसी तरह के हालात भी बनेें, लेकिन सीधे तौर पर सरकार ने मानव स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा को गंभीरता से लिया है। इसलिए लॉक डॉउन के तहत उठाए गए सख्त कदम में शराब की दुकानें भी बंद है। दूसरी तरफ मार्च और अपे्रल वह समय होता है जब अक्सर शराब की जमकर बिकवाली होती है। होली के पर्व से लेकर नवसंवत्सर से पहले तक बहुत बड़ी मात्रा में शराब सेल आउट होती है। लॉटरी प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है और उसके बाद 1 अपे्रल से नया आबकारी बंदोबस्त भी प्रभावी होना था, लेकिन यह कार्य भी प्रभावित होगा। पुराने ठेकेदार मायूस, नए भी चिंता में123 समूहों के लिए आबकारी बंदोबस्त हो गया और उसके बाद विभाग ने करीब 30 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था। इस प्रक्रिया में कई ऐसे ठेकेदार थे, जिनके पिछले साल शराब के ठेके थे, लेकिन इस साल नहीं खुले। इन ठेकेदारों के पास माल का स्टॉक भी था, लेकिन दुकानें 31 मार्च को पूरी होने वाली है। अब इन ठेकेदारों को नियमानुसार अपनी उपलब्ध शराब एक्साइज नियम के अनुसार ट्रांसफर करवानी होगी। दूसरी तरफ नए ठेके 1 अपे्रल से संचालित होने थे, लेकिन कोरोना के संक्रमण के दौरान भीड़ के हालात खतरनाक माने गए हैं। ऐसे में नए ठेके भी लॉक डाउन की श्रेणी में ही आएंगे और इससे नए ठेकों का बंदोस्त प्रभावित होगा।व
र्ष 2017 में प्रभावित हुए थे
अक्सर माना जाता है कि कैसा भी मौसम और हालात हो, शराब की खपत कम नहीं होती। इसलिए इसे मुनाफे का सौदा माना जाता है। इसलिए व्यापार में सालाना करोड़ों रुपए लोग लॉटरी में लगाते हैं। लेकिन यह चुनिंदा मामले में होगा, जिसमें लगातार चार दिन से शराब की बिकवाली नहीं हो रही। इधर, शौकिनों के लिए भी दिक्कतें खड़ी हो गई है। क्योंकि पूरा शहर पुलिस और प्रशासन की निगरानी में है। इससे पहले वर्ष 2017 में अतिवृष्टि में इसी तरह के हालात बने थे, जब जालोर शहर टापू बन गया था। भारी बारिश के बाद जालोर का बिशनगढ़ मार्ग, लेटा मार्ग, आकोली मार्ग बंद रहा था, जिस पर शराब बिकवाली का ग्राफ धराशायी हुआ था।


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