
LPG gas cylinder
भीनमाल. सरकार भले ही गरीब व कमजोर तबके के लोगों को स्वच्छ ईंधन से भोजन पकाने के लिए उज्जवला योजना के तहत नि:शुल्क गैस कनेक्शन दिए, लेकिन गैस सिलेण्डर के दाम बढऩे से रसोई गैस गरीब की पहुंच से दूर हो गई। अब गरीब परिवार के लोग लकड़ी व उपले जैसे प्राकृतिक ईंधन से ही भोजन पकाने को मजबूर हंै। पिछले 11 माह में रसौई के गैस के दाम में करीब 350 से अधिक रुपए की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही रसोई गैस के सिलेण्डर पर सरकारी सब्सिडी भी बंद कर दी। गत साल अप्रेल माह में गैस सिलेण्डर 548 रुपए के दाम थे, जो अब बढकऱ 847 रुपए हो गए है। ऐसे में उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को मिला गैस कनेक्शन अब महज शो-पीस बना हुआ है। हैरानी की बात तो यह है कोरोना काल में गैस सिलेण्डर के दाम बढऩे से लोगों के लिए आर्थिक सकंट खड़ा हो गया है। गृहणियों के रसोई का बजट भी बिगड़ गया है। दाम बढऩे से गरीब परिवार गैस की बजाए लकड़ी, उपले व बुरादे से भोजन पकाने को मजबूर हो गए हैं। लोगों का कहना है कि महंगाई की मार में गैस के दाम बढऩे से आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है। लोगों को लकड़ी, उपले व बुरादे से भोजन पकाने पर श्वास व आंखों के संबंधित कई बीमारियों होने का भय रहता है। शहर के आस-पास खेतों में लोग लकडिय़ां काटते नजर आते हंै। जालोर जिले में एक लाख 88 हजार 308 परिवार उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन लिए थे, लेकिन अब इन अधिकांश परिवार गैस सिलेण्डर रीफिल नहीं करवा पा रहे हैं। गैस एजेंसी संचालकों का कहना है कि दाम बढऩे से सिलेण्डर रिफील की डिमाण्ड कम हुई है।
जिले में इतने उज्ज्वला के उपभोक्ता
जालोर जिले में एक लाख 88 हजार 308 परिवारों ने उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिले थे। इनमें से भारत गैस के 67 हजार 652, एचपी के 47 हजार 696 व इण्डेन गैस के 72 हजार 690 परिवारों को नि:शुल्क कनेक्शन मिला, कनेक्शन मिलने महिलाओं को खुशी हुई, लेकिन दाम बढऩे से उन्हें फिर से परेशानी खड़ी हो गई है। इन परिवारों ने अब गैस एजेंसियों में सिलेण्डर बुकिंग नहीं करवा पा रहे है।
350 रुपए के करीब बढ़े दाम, मई से सब्सिडी बंद
गत साल से पेट्रोल-डीजल के साथ ही घरेलू गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम बढऩे से एक तरफ हर क्षेत्र में महंगाई बढ़ी हुई। साथ ही अब गैस सिलेण्डर के दाम से भी महिलाओं के रसोई का बजट गड़ाबड़ा गया है। गत साल अप्रेल माह में गैस सिलेण्डर के दाम 770 रुपए थे, जिसमें ग्राहक को 166 रुपए सब्सिडी दी जाती थी। मई से सब्सिडी बंद की और सिलेण्डर के दाम 603 रुपए हुए। साथ ही उस पर सब्सिडी 3.74 रुपए की सब्सिडी दी जाती थी। जून में 618 रुपए दाम व 3.74 सब्सिडी, जुलाई में 621.50 रुपए, सब्सिडी 4.24, 1 दिसंबर को सिलेण्डर के दाम 672 व सब्सिडी 4.24 रुपए व अब 50 रुपए और बढ़ गए। 15 दिसंबर को सिलेण्डर के दाम 722 रुपए हुए। इसके बाद 4 फरवरी को 747, 15 को 797 व एक मार्च को 847 रुपए दाम हो गए।
इतना दाम बजट से बाहर...
पिछले सालभर से महंगाई काफी बढ़ गई है। रसोई गैस की कीमतें भी आसमान छू गई है। इतना दाम बजट से बाहर हो गया है। कोरोना काल से मजदूरी भी कम हुई है, सिलेण्डर के दाम भी 350 रुपए तक बढ़ गए है। सिलेण्डर के दाम बढऩे से लकड़ी से ही भोजन बनाना पड़ रहा है।
- पारूदेवी, महिला
लकड़ी जलाकर चला रहे काम...
सरकार ने पहले गैस कनेक्शन बांटे, तो खुशी हुई कि भोजन पकान में सुविधा होगी, लेकिन सालभर से रसोई गैस के दाम बढऩे से सिलेण्डर का बंदोबस्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। लकड़ी व घासफूस जलाकर ही भोजन पका रहे है। मजदूर परिवारों के लिए गैस फिर से सपना बन गई।
- मदन भील, मजदूर
Published on:
18 Mar 2021 09:50 am
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