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Rajasthan Assembly Election: राजस्थान का मिनी गुजरात, आंखों में नमी…जल जीवन मिशन की नलों में नहीं पानी

Rajasthan Assembly Election 2023: सांचोर को जिला बनाने की खुशी है तो रानीवाड़ा के लोग बिजली, पानी, सडक़, लोक परिवहन जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। नगरों तक तो नर्बदा नहर का पानी पहुंच गया, लेकिन ग्रामीण आबादी अब भी बूंद-बूंद पानी को तरस रही है।

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ground report  Udaipur To Jalore

रुद्रेश शर्मा
Rajasthan Assembly Election 2023 सांचोर को जिला बनाने की खुशी है तो रानीवाड़ा के लोग बिजली, पानी, सडक़, लोक परिवहन जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। नगरों तक तो नर्बदा नहर का पानी पहुंच गया, लेकिन ग्रामीण आबादी अब भी बूंद-बूंद पानी को तरस रही है। उनकी नम आंखें जल जीवन मिशन के तहत लगे नलों तो ताक रही हैं कि इनसे पानी कब आएगा। प्रदेशभर में भले ही मुफ्त उपचार के ढोल पीटे जा रहे हों, लेकिन रोजगार, उपचार और खरीदारी के लिए आज भी यहां के बाशिंदे गुजरात का रुख करते हैं। फर्लांग भरते ही गुजरात जो पहुंच जाते हैं।

उदयपुर से पिडंडवाड़ा, आबू रोड, रेवदर और मण्डार होता हुआ जब मैं रानीवाड़ा पहुंचा तो सब ऐसा ही पाया। सडक़ के एक ओर गुजरात राज्य के खेत और दूसरी तरफ रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांव। रानीवाड़ा पंचायत समिति के बाहर चाय की दुकान करने वाले बाबूलाल से बात की तो वे बिफर पड़े। बोले, कोई समाधान नहीं है। पिछले दिनों जब पहली बार चक्रवात आया था, तब से बिजली गुल है। रोजाना फोन करता हूं, कोई सुनवाई नहीं होती। पीने का पानी नहीं है, टैंकर मंगाकर प्यास बुझाते हैं। सरकारी योजनाओं के बारे में पूछा तो बोले अभी तक तो कोई राहत मिली नहीं, आगे मिलेगी तो देखेंगे। यहां से कुछ दूरी पर रानीवाड़ा खुर्द गांव में चल रहे महंगाई राहत शिविर में पहुंच गया। यहां मिले ग्रामीण कृष्णराम मेघवाल से बातचीत की तो बोले, यहां कागजी प्रक्रिया चल रही है। लेकिन गांवों में पानी-बिजली की बड़ी समस्या है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में नल लगाए जा रहे हैं। सरपंच उसके पैसे मांग रहे हैं। अब गरीब आदमी कहां से पैसे लाए।

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यहां से मैं सांचोर के लिए रवाना हो गया। रास्ते में देखा कि पिकअप वाहनों में ओवरलोड सवारियां भरकर ले जाई जा रही हैं। तमाम हादसों के बावजूद कोई रोकने टोकने वाला नहीं। रास्ते में मिले कुछ लोगों से बात की तो बोले, क्या करें साहब, गांवों से कस्बों तक आने के लिए बसें तो है नहीं, मजबूरी में यही सहारा हैं। सांचोर में पुलिस थाने के बाहर मिले अधिवक्ता हापूराम विश्नोई से चर्चा की तो बोले सांचोर तो अब जिला बन गया है, छोटी-मोटी कुछ समस्याएं हैं तो वह भी अब दूर हो जाएंगी। कस्बे के भीतर पहुंचे जाकल गांव निवासी श्रमिक प्रकाशकु मार मिले। बोले, मजदूरी के लिए रोजाना गांव से आता हूं, सुबह प्राइवेट बस छूट जाए तो चार किमी पैदल चलना पड़ता है। गांव में नल लगे हैं, लेकिन पानी नहीं आता। सरकारी अस्पताल कम्पाउंडर के भरोसे है। उदालाल और गणपत ने बताया कि सांचोर कस्बे में ड्रेनेज की बड़ी समस्या है, घरों में पानी भर जाता है। लोगों ने दिखाया कि पाकिस्तान बॉर्डर की ओर जाने वाली मुख्य सडक़ पर गहरा गड्ढा हो रहा है। जिसमें इतना पानी भरा हुआ है कि वाहन निकलते समय आधे डूब जाते हैं।

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कृषि मंडी में मिले व्यापारी प्रभुलाल ने बताया कि यहां के किसान गुजरात की मंडियों में उपज बेचने जाते हैं। वहां टैक्स कम है और भाव भी अच्छे मिलते हैं। ऐसे में यहां के व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। यहां से भीनमाल के लिए रवाना हुए तो सडक़ बेहाल मिली। रास्ते में अस्सी फीसदी से ज्यादा गाडिय़ां गुजरात नंबर की दिखाई दी। जिज्ञासावश वाहन चालकों से पूछा तो बोले टैक्स कम होने के कारण यहां के लोग गाडिय़ां गुजरात से ही खरीदते हैं।