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जालोर में सोलर एनर्जी की संभावनाओं के लिए चितलवाना उपखंड चिह्नित, बड़े स्तर पर हो सकेगा बिजली उत्पादन

सौर ऊर्जा के मार्फत जालोर जिला बिजली उत्पादन के मामले में न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए भी यह महत्वपूर्ण हब बन जाएगा। महात्वाकांक्षी सोलर पार्क में जालोर जिले के चितलवाना क्षेत्र को भी चिह्नित किया गया है। इसके लिए जिला प्रशासन से संबंधित क्षेत्र की रिपोर्ट भी मांग की गई थी। पहले स्तर पर प्रस्तावित क्षेत्र प्रोजेक्ट के लिए उपयोगी माना गया है और भविष्य में यहां सौर ऊर्जा के बड़े प्रोजेक्ट नजर आ सकते हैं।

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जालोर में सोलर एनर्जी की संभावनाओं के लिए चितलवाना उपखंड चिह्नित, बड़े स्तर पर हो सकेगा बिजली उत्पादन

Solar energy production in Jalore district

जालोर. सौर ऊर्जा के मार्फत जालोर जिला बिजली उत्पादन के मामले में न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए भी यह महत्वपूर्ण हब बन जाएगा। महात्वाकांक्षी सोलर पार्क में जालोर जिले के चितलवाना क्षेत्र को भी चिह्नित किया गया है। इसके लिए जिला प्रशासन से संबंधित क्षेत्र की रिपोर्ट भी मांग की गई थी। पहले स्तर पर प्रस्तावित क्षेत्र प्रोजेक्ट के लिए उपयोगी माना गया है और भविष्य में यहां सौर ऊर्जा के बड़े प्रोजेक्ट नजर आ सकते हैं। माना जा सकता है कि यहां बिजली का बड़े स्तर पर उत्पादन हो सकेगा और यह क्षेत्र खास पहचान भी बन जाएगा। (एसं)
सिवायचक भूमि प्रस्तावित
यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है और इसके लिए एजेंसी ने पहले स्तर पर ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन (बीआईपी) में एप्लीकेशन लगाई थी और जिसके बाद जिला प्रशासन से इस क्षेत्र की फिजिबिलिटी रिपोर्ट मांगी थी। कलक्टर हिमांशु गुप्ता के निर्देशनन में जांच पड़ताल करने के बाद इस क्षेत्र की रिपोर्ट भी भेज दी गई है। यह क्षेत्र सिवायचक है और वन विभाग या अन्य किसी प्रोजेक्ट की अड़चन भी यहां नहीं हैं।
तेज किरणें ज्यादा फायदेमंद
जालोर जिले में गर्मी के मौसम में अक्सर तापतान मार्च के बाद ही तापमान 40 डिग्री से लेकर 48 डिग्री तक पहुंच जाता है। यहां सर्दी के मौसम में भी धूप खिली ही रहती है। चितलवाना का क्षेत्र कम आबादी वाला है और बालू मिट्टी वाला क्षेत्र है। सीधे तौर पर सालभर पर्याप्त तपन के साथ यहां बिजली का उत्पादन हो सकेगा।
अन्य क्षेत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण उदाहरण
वर्तमान में राजस्थान में 4883 मेगावाट सोलर बिजली बनती है। माना जा रहा है यह वह जमीन है, जो कृषि कार्य में काम में नहीं आ रही। ऐसे में सोलर पार्क इस क्षेत्र में आजीविका का यह माध्यम भी बनेगा। यह प्रोजेक्ट पूरे राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण और महात्वाकांक्षी है। सीधे तौर पर जालोर के अलावा, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और बीकानेर में सोलर हब बन रहे हैं। इस क्षेत्र में बहुत सी कंपनियां इन्वेस्ट भी कर रही है। इसमें भारत ही नहीं अन्य देशों की कंपनियां भी रुचि दिखा रही है। वहीं सौर ऊर्जा उत्पादन की संभावनाओं की बात करें तो वर्तमान में जोधपुर का भडला और जैसलमेर का लखासर बड़े सौलर पार्क हैं।
जालोर में ये हैं संभावना
वर्तमान में जो प्रोजेक्ट जैसलमेर या अन्य क्रियान्वित हो रहे हैं।वहां पर सोलर प्लांट 4800 मेगावाट से लेकर 300 मेगावाट क्षमता के हैं। बिजली का यह उत्पादन क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। चितलवाना का क्षेत्र भी विस्तृत है। ऐसे में यहां पर भी सोलर एनर्जी के लिए बड़ा प्रोजेक्ट स्थापित होने की प्रबल संभावना है।
सौर ऊर्जा का महत्व समझ रहे
एक तरफ जालोर सोलर हब बनने वाला है, दूसरी तरफ जिलेवासी भी स्थानीय स्तर पर सौर ऊर्जा के महत्वू को स्वीकार रहे हैं। जिसका असर यह हो रहा है कि अब घर, होटल यहां तक की ग्रेनाइट इकाइयों में भी सोलर एनर्जी प्लांट देखने को मिल रहे हैं। बिजली की बढ़ती कीमतों के मामले में सौर ऊर्जा भविष्य के लिए बेहतर विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है।