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अनुदान के करोड़ों उठा लेते हैं और टैग लगी गाय को छोड़ देते हैं भटकने के लिए

क्षेत्र की गोशालाओं में संचालकों की लापरवाही से बेसहारा बना गोवंश

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Cows taging system

Take crores of grants and leave the tagged cows on road

सांचौर. क्षेत्र की विभिन्न गोशालाओं में पल रहे गोवंश के लिए संचालकों को अनुदान की राशि मिलने के बावजूद बेसहारा गोवंश को भटकने के लिए सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाता है। जहां सरकारी कागजों में ये गोवंश गोशालाओं में जरूर पल रहे हैं, लेकिन हकीकत में ये सड़कों पर यूं ही घूमते नजर आते हैं। सांचौर उपखण्ड मुख्यालय पर कुछ ऐसे ही हालात हैं।
यहां अभी भी टैग लगी गायें खुले में विचरण कर रही है। इस गाय पर जिस गोशाला का टैग लगा है, उस गोशाला को सरकार की ओर से अनुदान दिया जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का अनुदान उठाने वाली गोशालाओं की हकीकत इस तरह सामने आ रही है। मंगलवार को पत्रिका ने जब तहकीकात की तो इस तरह गोशालाओं के दावों की पोल सामने आई। क्षेत्र में संचालित हो रही २१ पंजीकृत गोशालाओं में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का बजट अनुदान के रूप में राज्य सरकार से जारी होता है। वहीं गोभक्त और स्वयंसेवी संस्थाएं भी यहां चारे-पानी सहित अन्य व्यवस्था कर सहयोग करती है। इसके बावजूद गोशाला संचालकों की ओर से गायों को खुले में छोड़ दिया जाता है। खास बात तो यह है प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई की बजाय जिम्मेदारी से बचने का रास्ता निकाला जा रहा है।
गत साल से टैगिंग
गोशालाओं में गोवंश की संख्या के आधार पर राज्य सरकार ने अनुदान प्रक्रिया में बदलाव करते हुए जनवरी २०१७ से टैगिंग शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रत्येक गोशाला को अलग-अलग टैग नंबर दिए गए थे। टैग लगे हुए पशु की मौत पर वह टैग लेप्स कर दिया जाता था। नया पशु लाने पर नया टैग जारी होता है।
यह है गोशालाओं की स्थिति
क्षेत्र में पंजीकृत संचालित गोशालाओं में 3 साल से कम उम्र के गोवंश के लिए 16 रुपए व इससे बड़े के लिए 32 रुपए का अनुदान प्रतिदिन के हिसाब से जारी किया जाता है। वहीं यह अनुदान हर तिमाही के लिए जारी किया जाता है। वहीं अकाल या आपदा की स्थिति में सरकार की ओर से अतिरिक्त बजट स्वीकृत किया जाता है। इस साल सरकार की ओर से अनुदान तीन माह से बढाकर संशोधित कर बढ़ाने का प्रस्ताव लिया गया है।
इनका कहना है...
सरकार की ओर से गोशालाओं में पल रहे पशुओं की टैगिंग व्यवस्था कर रखी है। उसी आधार पर अनुदान भी जारी होता है। अगर टैग लगा कोई गोवंश शहर में खुला घूमता है या गोशाला से बाहर है तो उसका पता कर जांच करवाई जाएगी।
- पीताम्बरदास राठी, तहसीलदार, सांचौर


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