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धुम्बड़ा पर्वत पर सुभद्रा माता के दर्शनार्थ देशभर से आते है श्रद्धालु

धुम्बड़ा पर्वत पर स्थित सुभद्रा माता का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। यह स्थान देवी सुभद्रा व अर्जुन के विवाह की पवित्र स्थली माना जाता है।

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jalorenews

The devotees are coming from all over the country on the Dhambra mountain with the view of Subhadra Mata.


भाद्राजून. धुम्बड़ा पर्वत पर स्थित सुभद्रा माता का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। यह स्थान देवी सुभद्रा व अर्जुन के विवाह की पवित्र स्थली माना जाता है। किवदंति है कि कृष्ण की सहमति से अर्जुन ने सुभद्राजी का द्वारिका से हरण करके उनके द्वारा बताए गए इसी रमणीय स्थल पर गंधर्व विवाह किया था।यह स्थान द्वारिका-हस्तिनापुर मुख्य मार्ग पर स्थित था। यह स्थान उस समय अनेक ऋषि मुनियों की तपस्थली था। सुभद्रा व अर्जुन का विवाह इस क्षेत्र के व्यास पुरोहित की ओर से करवाया गया था। उस समय पुरोहित को विवाह के बाद दक्षिणा के रूप में अर्जुन ने अपना शंख और सुभद्रा ने अपनी बाली भेंट की थी। दक्षिणा के बाद जिस जगह पर पुरोहित निवास करते थे। उस स्थान का नामकरण शंखबाली हुआ। जो आज शंखवाली के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में यह राजपुरोहित समाज के व्यास गोत्र का सबसे बड़ा गांव है। वहीं धुम्बड़ा पर्वत स्थित स्थान पर विवाह सम्पन्न करवाया गया था। उस स्थान का नाम सुभद्राअर्जुनपुरी पड़ा। जो कालांतर में अपभ्रंश होकर अब भाद्राजून हो गया।जिले के ऐतिहासिक इस मंदिर स्थल पर प्राचीन श्रीकृष्ण (विष्णु) मंदिर तथा देवी सुभद्रा का मंदिर बना हुआ है। वर्तमान में यहां के महंत राजभारती है। भाद्राजून से धुम्बड़ा माता मंदिर तक डामर सडक़ मार्ग व ग्राम रामा से धुम्बड़ा माता मंदिर के लिए सडक़ बनी हुई हैं। राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र व दूर-दूर से माता के दर्शनार्थ श्रद्धालु यहां आते है। चैत्र नवरात्र एवं शारदीय नवरात्र में यहां मेले जैसा माहौल रहता है।
धुम्बडग़ढ़ बाबा के नाम से कहलाया धुम्बड़ा
किवदंति के अनुसार बाबा धुम्बगढ़ देवी के आराध्य भक्त थे। जिनको माताजी ने परचा दिया था। प्राचीन काल में पाक-अफगान सीमा पर स्थित हिंगलाज माता शक्तिपीठ में कुम्भ का मेला लगता था। दर्शन के लिए तपस्वी छह माह पूर्व अपने-अपने स्थान से कुम्भ के लिए रवाना होते थे। धुम्बडग़ढ़ बाबा भी कुम्भ मेले में दर्शन के लिए पैदल रवाना हुए थे। उस दौरान सुभद्रामाता मंदिर स्थित शितलामाता घाटी में देवी ने वृद्धा का रूप धारण कर धुम्बडग़ढ़ को हिंगलाज दर्शन के लिए ले जाने की प्रार्थना की, तो बाबा तुरंत राजी हो गए।वे वृद्धा को अपने कंधों पर बिठाकर हिंगलाज कुंभ दर्शन के लिए रवाना हो गए।देवी चमत्कार से धुम्बडग़ढ़ को थोड़ी देर बाद नींद आ गई। जब उनकी आंख खुली तो खुद को कुंभ हिंगलाज में पाया। देवी कृपा से बाबा को शक्ति स्वरूपा के दर्शन हुए।उन्हें वरदान प्राप्त हुआ कि उनके नाम से ही उनकी तपस्थली का नाम प्रसिद्ध होगा।तब उसे इस तपोस्थली को धुम्बड़ा पर्वत कहा जाने लगा।

अवैध शराब के साथ दो गिरफ्तार
बागोड़ा. बागोड़ा पुलिस ने दो अलग-अलग जगह अवैध सादा मदिरा बरामद कर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया। थानाधिकारी प्रेमसिंह राजपूत ने बताया कि नई बाली का गोलिया निवासी अर्जुनसिह पुत्र रिड़मलसिंह जाति राजपूत व आईदानाराम पुत्र नरसाजी जाति भील निवासी वाटेरा के कब्जे से बिना परमीट व अनुज्ञापत्र के सादा मदिरा के ५६-५६ पव्वे मिलने पर आबकारी एक्ट के तहत मामले दर्ज कर अवैध शराब जब्त की।वहीं दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया। वहीं बागोड़ा पुलिस ने सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान की सामग्री बेचते पाए जाने पर तीन जनों के खिलाफ धूम्रपान अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।