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जम्मू-कश्मीर के आईएएस टॉपर फैसल के खिलाफ कार्रवाई शुरु

कश्‍मीर के पहले आइएएस टॉपर शाह फैसल ने बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर ट्वीट कर मुसीबत माेल ले ली…

जम्मूJul 11, 2018 / 06:48 pm

Prateek

ias topper of jammu kashmir

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योगेश कुमार की रिपोर्ट…

(जम्मू): कश्‍मीर के पहले आइएएस टॉपर शाह फैसल ने बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर ट्वीट कर मुसीबत माेल ले ली। केंद्र सरकार के पर्सनल एवं ट्रेनिंग विभाग की सिफारिश पर जम्मू कश्मीर जनरल प्रशासनिक विभाग (जीएडी) ने शाह फैसल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। शाह फैसल वर्तमान में अध्ययन अवकाश पर हैं। वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्‍ययनरत हैं।

पत्र में है इन बातों का जिक्र

जीएडी के कमिश्नर सेक्रेटरी ने शाह फैसल को भेजे पत्र में कहा है कि उन्‍होंने भारतीय सर्विस रूल 1968 का उल्लंघन किया है। आईएएस अफसर होने के नाते फैसल ने ईमानदारी से अपनी ड्यूटी नहीं निभाई। एक जन सेवक को ऐसा ट्वीट नहीं करना चाहिए। जीएडी ने फैसल के ट्वीट का स्क्रीन शाट भी उन्हें भेजा है।

 

जीएडी के पत्र को कहा लव लेटर

फैसल ने जीएडी के पत्र को लव लेटर करार देकर दोबारा ट्वीट किया और उक्त पत्र को भी ट्वीटर पर डाला है। उन्होंने कहा स्वतंत्र एवं लोकतांत्रिक भारत को एक कालोनी के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने फैसल के ट्वीट को सर्विस रूल 1968 का उल्लंघन करार दिया है। फैसल के अनुसार, वह इस रूल को बदलना चाहते हैं। बस यही उनकी मंशा थी।

 

फैसल ने किया था ये ट्वीट

शाह फैसल ने ट्वीट में लिखा था पैट्रिआर्की +पॉपुलेशन +इलेट्रेसी +अल्कोहल +पोर्न +टैक्नोलॉजी +एनार्की = रेपिस्तान।

 

राजनीति तेज

वही शाह फैसल पर कार्रवाई होते देख जम्मू कश्मीर में राजनीति तेज हो गई है। घाटी के राजनातिक दल शाह फैसल के खिलाफ कार्रवाई को मुसलमानों से असहिष्णुता के साथ जोड कर देख रहे है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बुधवार को खुलकर शाह फैसल के पक्ष में आ गए। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया: “मैं इस नोटिस को नौकरशाही पर लगाम के रूप मे रूप में देखता हूं। जहां लोग शीर्ष पर बैठ कर सिर्फ़ फाइलों को दबा रहे हैं और वर्तमान समय को नहीं समझ पाते। राजस्थान और अन्य जगहों के अधिकारियों द्वारा शासन और आचरण के निर्धारित मानदंडों की उपेक्षा करने से आप को कोई समस्या नहीं है, परंतु शाह फैसल का बलात्कार के बारे में ट्वीट आपको परेशान करता है।

 

अपनी सफाई में यह बोले फैसल

अपनी रक्षा में अधिकारी ने कहा है: “मुझे लगता है कि हमें यह समझने की जरूरत है कि सरकारी कर्मचारी समाज में रहते हैं और वे समाज के नैतिक प्रश्नों से पूरी तरह से अलग नहीं रह सकते हैं। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध पूरी तरह से अस्वीकार्य है।” फैसल ने पहले कहा था कि भारत में सिविल सेवकों के सोशल मीडिया पर सामाजिक और सरकारी मुद्दों पर राय पर रोक के नियम राजशाही हैं और इनके तुरंत पुनरीक्षण की आवश्यकता है।

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