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पंछी, नदिया, पवन के झोंके… कोई सरहद ना इन्हें रोके…

Jammu Kashmir: मुल्कों के बीच इंसान की खींची सरहद की दीवार की परवाह पंछी, नदिया आौर पवन के झोंके नहीं करते। प्रवासी पक्षी एक दिन में लगभग 1000 मील से अधिक की दूरी तय करते हुए प्रवासी पक्षी जम्मू में घराना पर पहुंचने लगे...

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जम्मू

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Nitin Bhal

Dec 21, 2019

पंछी, नदिया, पवन के झोंके... कोई सरहद ना इन्हें रोके...

पंछी, नदिया, पवन के झोंके... कोई सरहद ना इन्हें रोके...

जम्मू (योगेश). मुल्कों के बीच इंसान की खींची सरहद की दीवार की परवाह पंछी, नदिया आौर पवन के झोंके नहीं करते। प्रवासी पक्षी एक दिन में लगभग 1000 मील से अधिक की दूरी तय करते हुए प्रवासी पक्षी जम्मू में घराना पर पहुंचने लगे हैं। इन परिंदों की कोई सरहद नहीं होती। जहां की आबोहवा रास आ गई, अपनापन मिला वहीं डेरा जमा लेते हैं। ऐसे ही आरएसपुरा क्षेत्र के घराना वेटलैंड में इस समय सौ से अधिक साइबेरियाई राजहंसों ने डेरा जमा लिया है। इनकी अठखेलियां पक्षी प्रेमियों के मन को हर्षित कर रही हैं। सर्दियों के महीनों के दौरान साइबेरिया, मध्य एशिया, चीन, पूर्वी यूरोप और न्यूजीलैंड के पक्षियों के लिए वेटलैंड निवास स्थान बन जाती है। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब स्थित, रणबीर सिंह पुरा सेक्टर में, जो जम्मू से लगभग 35 किलोमीटर दूर, वनस्पतियों और जीवों और जलीय वनस्पति की अपनी पारिस्थितिक विविधता के कारण हजारों प्रवासी पंखों वाले मेहमानों को आकर्षित करती है। राजहंस, बार हेडेड की कई प्रजातियां मध्य एशिया में और दुनिया के अन्य भागों में हिमालय के ऊपर से उडऩे वाली ठंड के मौसम और जम्मू के गर्म मौसम में प्रजनन करने के लिए आती हैं।दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई तक उड़ान भरने के लिए पहचाने जाने वाले राजहंस यानी सरपट्टी सवन (बार हेडड गीज) साइबेरिया से उड़ान भरते हुए जम्मू के प्रसिद्ध घराना वेटलैंड पर पहुंचने लगे हैं। सुबह सौ से अधिक राजहंस घराना के तालाब में उतरे। दिनभर तालाब में अठखेलियां कर पर्यटकों का ध्यान खींचा। हालांकि यह संख्या बहुत ही कम है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तालाब इन पक्षियों से भर जाएगा। राजहंसों की अठखेलियां देखने के लिए काफी संख्या में पक्षी प्रेमी यहां पहुंचते हैं।

बढ़ाई सतर्कता

घराना वेटलैंड में राजहंसों के आने के बाद वन्यजीव संरक्षण विभाग ने क्षेत्र में सतर्कता और बढ़ा दी है। लोगों को इन पक्षियों के बहुत करीब नहीं जाने दिया जा रहा। पर्यावरणविद और पक्षी प्रेमी सामवेदना शर्मा ने कहा कि यूरोप से साइबेरियाई गीज, उत्तरी फावड़ा और यूरोप से उत्तरी पिंटेल, कॉमन पोचर्ड और फेरुजिनस बतख सहित हजारों पक्षी आते हैं। जम्मू को उत्तरी कार्डिनल के लिए घर का शीतकालीन घर भी माना जाता है, जो लाल गियर और नारंगी चोंच के लिए प्रसिद्ध है। वन्यजीवों के एक अधिकारी ने कहा की आमतौर पर प्रवासी पक्षी दिसंबर में यहां पहुंचते हैं और फरवरी-मार्च के अंत तक तीन से चार महीने तक यहां रहते हैं

न्यायालय ने ली सुध

पिछले साल तक घराना गांव के स्थानीय निवासी पटाखे और अन्य साधनों से पक्षियों को परेशान करने के लिए उपयोग करते थे। उनका आरोप था कि पक्षी उनकी खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन राज्य उच्च न्यायालय ने इस संबंध में एक निर्णय पारित किया और संघर्ष को हल किया। जिसके परिणामस्वरूप लोग को पटाखों जैसी चीजों का उपयोग करने के लिए वर्जित है, जो पंखों वाले मेहमानों को परेशान कर सकते हैं। आती हैं २० से अधिक प्रजातियां20 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां घराना वेटलैंड में प्रजनन को आती हैं। हालांकि, सरकार 1986 में जारी एक अधिसूचना के माध्यम से घराना को संरक्षण रिजर्व बनने के बावजूद क्षेत्र को अतिक्रमण से बचाने में विफल रही है, यह जगह अभी भी पक्षियों को आकर्षित कर रही है जो इसे अपने सर्दियों के आवास के रूप में बनाते हैं।