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प्रसव पीड़ा से तड़प उठी महिला, मसीहा बनकर आएं मजदूर, यूं की अस्पताल पहुंचने में मदद

locationजम्मूPublished: Jan 06, 2020 10:03:16 pm

मजदूरों ने मदद कर यह साबित कर दिया कि हम सभी धर्म के उस मर्म को समझ रहे है जो (Inspirational Stories) कहता है कि ”सभी लोग इंसानियत के धागे से एक-दूसरे से जुड़े हैं…
 

प्रसव पीड़ा से तड़प उठी महिला, मसीहा बनकर आएं मजदूर, यूं की अस्पताल पहुंचने में मदद

प्रसव पीड़ा से तड़प उठी महिला, मसीहा बनकर आएं मजदूर, यूं की अस्पताल पहुंचने में मदद

(जम्मू,योगेश): ”इंसानियत ही है हर मजहब की नींव में, तुम क्यों दबाए बैठे हो नफरत जमीर में” सिर्फ कविता की पंक्तियां ही नहीं समय-समय पर सामने आने वाली कुछ घटनाएं भी यह साबित करती है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है। ऐसा ही एक वाक्या जम्मू के कठुआ जिले से सामने आया है। जहां कुछ मुस्लिम मजदूरों ने गर्भवती महिला को चारपाई के जरिए कांधे पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाने में मदद की। साढे तीन किलोमीटर का पैदल सफर तय कर यह मुख्य सड़क पर पहुंचे और महिला को एंबुलेंस में बैठाया। इसके बाद सभी खुदा से जच्चा—बच्चा की सलामती की दुआ करने लगे। सच्चे मन से की गई दुआ कबूल हुई और महिला ने बेटी को जन्म दिया।

 

प्रसव पीड़ा से तड़प उठी महिला…

दरअसल, कठुआ जिले के रामकोट के गांव काह के हरदेव सिंह की पत्नी राधू देवी सुबह प्रसव पीड़ा से तड़प उठी। उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की जरूरत थी। रामकोट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इतनी सुविधाएं नहीं हैं कि राधू को पर्याप्त इलाज मिल सके। परिवार के सदस्यों के पास एक ही चारा था कि उसे 35 किलोमीटर दूर स्थित उप जिला अस्पताल बिलावर ले जाएं। इसके पहले उन्हें वाहन पकडऩे के लिए साढ़े तीन किलोमीटर दूर धार रोड तक पैदल चलना था, वह भी ऊबड़-खाबड़ पगडंडी पर। पर कैसे, यह सोच-सोचकर परिवारवालों की भी हालत खराब हो रही थी।


बिना देरी किए की मदद…

बात सरपंच दिनेश खजूरिया तक पहुंची तो उन्होंने सड़क बनाने के ठेकेदार से मदद मांगी। उन्होंने यह बात धार रोड से कछेड-तिलश तक सड़क बनाने के काम में लगे मजदूरों से साझा की। मजदूर अख्तर, बशीर अहमद, नजीर, मोहमद यूसुफ और पीडब्ल्यूडी कर्मचारी राजू महिला को गांव से धार रोड तक पहुंचाने के लिए बिना देरी किए तैयार हो गए। सभी मजदूरों ने राधू को चारपाई के जरिए धार रोड तक पहुंचाया।


देर होती तो बढ़ जाती मुश्किल…

परिवार के लोग एंबुलेंस से महिला को बिलावर अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टर पहले से महिला का इंतजार कर रहे थे। अस्पताल में पहुंचने के दस मिनट बाद ही महिला ने बेटी को जन्म दिया। डॉक्टरों के अनुसार जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। अगर और अधिक देरी हो जाती तो महिला की हालत अधिक गंभीर हो जाती, जिससे दोनों की जान को खतरा हो सकता था। महिला और उसके परिवार के सभी लोगों ने ठेकेदार और मजदूरों का आभार व्यक्त किया। परिजनों का कहना है कि सभी मजदूरों ने मदद कर यह साबित कर दिया कि हम सभी धर्म के उस मर्म को समझ रहे है जो कहता है कि ”सभी लोग इंसानियत के धागे से एक—दूसरे से जुड़े हैं।”

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