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इस मानवीय चेहरे से सेना ने अलगाववादियों को दिखा दिया आईना

सेना की सख्त ट्रेनिंग के बाद भी उनका दिल किसी मासूम के दिल की तरह ही धड़कता है। अलगाववादी बेशक पत्थरबाजों को भारतीय सेना के खिलाफ ( Separatist against Army ) उकसाएं किन्तु सेना अपना मानव धर्म (Army Human Face ) कभी नहीं भूलती। सेना का ऐसा मानवीय चेहरा भी है, जो अलगाववादियों को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है। इसका ही एक उदाहरण पेश करते हुए सेना के जवानों ने कमर की ऊंचाई तक जमी बर्फ को काटकर रास्ता बनाया और एक गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचाया।

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इस मानवीय चेहरे से सेना ने अलगाववादियों को दिखा दिया आईना

इस मानवीय चेहरे से सेना ने अलगाववादियों को दिखा दिया आईना

जम्मू: सेना की सख्त ट्रेनिंग के बाद भी उनका दिल किसी मासूम के दिल की तरह ही धड़कता है। अलगाववादी बेशक पत्थरबाजों को भारतीय सेना के खिलाफ ( Separatist against Army ) उकसाएं किन्तु सेना अपना मानव धर्म (Army Human Face ) कभी नहीं भूलती। सेना के कई चेहरे हैं। आतंकियों के तौर पर छिपे हुए दुश्मन हों या पाक की तरफ से की जाने वाली आए दिन की गोलाबारी, सेना हर तरह मुंहतोड़ जवाब देती रही। इसका अलावा सेना का ऐसा मानवीय चेहरा भी है, जो अलगाववादियों को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है। इसका ही एक उदाहरण पेश करते हुए सेना के जवानों ने कमर की ऊंचाई तक जमी बर्फ को काटकर रास्ता बनाया और एक गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचाया। सेना के ये 'खैरियतÓ दस्ते महिला को स्ट्रेचर के जरिए अपने कंधों पर उठाकर छह किलोमीटर तक बर्फ पर पैदल भी चले। इसके बाद एंबुलेंस में बैठाया और फिर एंबुलेंस के लिए भी बर्फ काटकर रास्ता बनाया।

बच्चे की किलकारी के लिए ठंड में जुटे रहे
छह घंटे तक 'खैरियतÓ दस्ते महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में जुटे रहे। सेना के इस अथक प्रयास से महिला के आंगन में किलकारियां गूंज रही हैं। महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। उत्तरी कश्मीर में सेना ने दूरदराज के पवज़्तीय इलाकों में स्थानीय लोगों की मदद के लिए जवानों के दस्ते बनाए हैं।

खैरियत दस्ते ने दिया खैरियत का संदेश
इन्हें 'खैरियतÓ नाम दिया गया है। यह घटना उत्तरी कश्मीर में जिला बारामुला के टंगमर्ग इलाके की है। सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि टंगमर्ग के ऊपरी हिस्से में स्थित दारदपोरा गांव के रहने वाले रियाज मीर ने पिछले मंगलवार को निकटवर्ती सैन्य शिविर में फोन पर संपर्क किया। उसने बताया था कि उसकी पत्नी शमीमा को प्रसव पीड़ा हो रही है। उसे अस्पताल पहुंचाना है, लेकिन बर्फ के चलते रास्ता बंद है। उसने अपने बूते पत्नी को अस्पताल में पहुंचाने में असमर्थता जताई। रियाज ने सेना से अनुरोध किया कि यदि समय पर मदद नहीं मिली तो जच्चा-बच्चा दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।

तीन दलों ने उठाई जिम्मेदारी
इसके बाद उपलोना गांव में स्थित सैन्य यूनिट बेस कमांडर ने अपने दल को साथ लिया और पांच किलोमीटर बर्फ में पैदल चलकर उसके पास पहुंचे। वह साथ में डॉक्टर व दवाइयां भी ले गए। एंबुलेंस से ले जाते समय रास्ते में भी कई जगह सेना के जवानों ने सड़क से बर्फ हटाई। अस्पताल में महिला ने बच्चे को जन्म दिया। बेस कमांडर ने तीन दल बनाए। एक दल को रास्ता साफ करने का जिम्मा दिया गया। दूसरे दल ने हैलीपैड तक बर्फ को हटाया और तीसरे ने हैलीपैड से कांसीपोर तक रास्ता बनाया।

100 जवान और 25 नागरिक साथ थे
इस पूरे अभियान में सेना के 100 जवान और अधिकारियों के अलावा 25 नागरिकों ने योगदान किया। करीब छह घंटे अभियान चला। सैन्यकर्मियों का एक दल स्ट्रेचर पर महिला को उठाकर चल रहा था। आगे-आगे जवानों का एक दल बर्फ हटा रास्ता बना रहा था। रास्ते में कमर की ऊंचाई तक बर्फ थी। महिला को पहले उपलोना लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार दिया गया। यहां सैन्य एंबुलेंस से बारामुला अस्पताल ले जाया गया। एंबुलेंस के साथ सेना का डॉक्टर भी था। महिला ने बेटे को जन्म दिया।

अवाम मेरी जान
अवाम मेरी जान के उददेश्य और भावना का जिक्र करते हुए सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा कि आम नागरिक व सेना हमेशा ही एक दूसरे के हमसाया और एक दूसरे की परछाया है। दोनों ही एक दूसरे के सुख-दुख और चुनौतियों का मिलकर सामना करते हैं।

सैन्य शिविरों के मोबाइल नम्बर
इसी भावना को ध्यान में रखते हुए सैन्य शिविरों के मोबाइल नंबर भी आम लोगों के साथ साझा किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह तो मौके पर मौजूद सैन्य अधिकारियों व जवानों की सूझबूझ थी, जिन्होंने महिला को बचाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई। उन्होंने कहा कि खैरियत दस्तों के गठन के बाद संबंधित सैन्य यूनिट अपने कार्याधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी गांवों और बस्तियों में उनके नंबर को प्रचारित करें ताकि किसी भी आपात स्थिति में ग्रामीण मदद के लिए संपर्क कर सकें।

प्रधानमंत्री ने किया टï्विट
सैन्यकर्मियों द्वारा की इस मदद को आम कश्मीरी ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बर्फ में स्ट्रेचर पर गर्भवती महिला को उठाकर चल रहे जवानों के वीडियो के साथ ट्वीट किया है। उन्होंने जवानों की कर्तव्यनिष्ठा और आम जन के प्रति सेवाभावना की प्रशंसा की है।