
जांजगीर.चांपा। जिले के 120 स्कूलों में बिजली, पानी सहित टॉयलेट की सुविधा नहीं है। बावजूद जांच कमेटी ने ऐसे स्कूलों को संचालन के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। जबकि छात्राओं को ऐसे स्कूलों में अभावों के बीच तालीम लेनी पड़ रही है। ऐसे में जांच कमेटी यानी नोडल अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है। इतना ही नहीं जिले में 400 से अधिक निजी स्कूल है। जिसमें 50 फीसदी स्कूलों की मान्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्यों कि इन स्कूलों में कहीं बिजली की सुविधा नहीं है तो कहीं पानी नहीं है। ऐसे में स्कूलों को आरटीई के तहत मान्यता देना सरासर नियमों की धज्जियां उड़ाना है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत समूचे देश में स्वछता अभियान चलाया जा रहा है। वहीं जिले के 25 फीसदी स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं है। निजी स्कूलों का तो दूर शासकीय स्कूलों में भी स्वच्छता अभियान का बुरा हाल है। अभी जिले के 40 से अधिक स्कूलों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है, जो पुराने शौचालय बने हैं उनकी स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है। बच्चे आसपास फटकने भी नहीं जाते, क्यों कि शौचालय को आसपास के लोग ही गंदा कर चुके हैं। इसके अलावा निजी स्कूलों का भी यही हाल है।
जिले के तकरीबन 100 से अधिक निजी स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। स्कूल संचालक छात्रों से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं, लेकिन शौचालय की बजाए फटे पुराने साड़ी को ढंककर काम चलाउ शौचालय बनाया गया है। इसके अलावा ऐसे स्कूलों में पीने के लिए पानी भी व्यवस्था नहीं है।
पीने के पानी के लिए छात्रों को आसपास के हैंडपंप पर निर्भर होना पड़ रहा है, तो वहीं लघुशंका के लिए खेत खलिहानों या झाडिय़ों में जाना पड़ता है। यानी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। छात्राएं स्कूलों में फीस के तौर पर मोटी रकम जमा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें शौचालय के लिए स्कूलों में शर्मसार होना पड़ रहा है।
कमियां दूर की जा रही है
जिन स्कूलों में बिजली पानी की सुविधा नहीं है। उन स्कूलों में व्यवस्था बनाने कोशिश की जा रही है। पानी के लिए पीएचई को बोला गया है तो वहीं पीडब्ल्यूडी द्वारा स्कूलों में बिजली फिटिंग कराई जा रही है- जीपी भास्कर, डीईओ
Published on:
21 Dec 2017 01:52 pm
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