
Shivrinarayan Mandir : जिला मुख्यालय जांजगीर से 45 किमी की दूरी पर स्थित है धार्मिक नगरी शिवरीनारायण। शिवरीनारायण की पावन धरा को माता शबरी की जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। मान्यतानुसार, त्रेतायुग में भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता की खोज करने के दौरान यहां आए थे जहां माता शबरी ने भगवान श्रीराम को जूठे बेर खिलाए थे।
शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ प्रदेश में गुप्तधाम के नाम से भी जाना जाता है। नगर के मठ मंदिर परिसर में माता शबरी का मंदिर आज भी स्थित है। यह मंदिर अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हैं। माना जाता है कि यही वह जगह है जहां माता शबरी का आश्रम हुआ करता था। मंदिर के मुख्य गेट के पास अति दुर्लभ कृष्ण वट वृक्ष है। इस कृष्ण वट वृक्ष की विशेषता यह है कि वटवृक्ष की हर पत्ते कटोरीनुमा आकार के होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी वृक्ष के पत्तों की कटोरी बनाकर माता शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाए थे।
गुप्तधाम शिवरीनारायण...
22 को 24 घंटे भजन-कीर्तन का चलेगा दौर: 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला के भव्य मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यहां अलग ही उत्साह का माहौल है। मठ मंदिर में 24 घंटे का भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। मंदिर की आकर्षक सजावट की जाएगी। मंदिर के पुजारी त्यागी जी महराज के मुताबिक, 22 को भगवान की विशेष आराधना होगी। भंडारा भी होगा।
याज्ञवलक्य संहिता और रामावतार चरित्र में मिलता है उल्लेख
अप्रतिम सौंदर्य और चतुर्भुजी विष्णु की मूर्तियों की अधिकता के चलते स्कंद पुराण में इसे श्री पुरुषोत्तम एवं नारायण क्षेत्र भी कहा जाता है। हर युग में इस नगर का अस्तित्व रहा है। सतयुग में बैकुंठपुर, त्रेतायुग में रामपुर और द्वापरयुग में विष्णुपुरी व नारायणपुर के नाम से विख्यात यह नगर मतंग ऋषि का आश्रम हुआ करता था। इस नगर को शबरी माता की साधना स्थली भी कहा जाता है। शबरी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने शबरी नारायण नगर बसाया गया। भगवान श्रीराम का नारायणी रूप आज भी यहां गुप्त रूप से विराजमान है।
खरौद में स्थित माता शबरी मंदिर में छिपा है इतिहास
ईंट से बना पूर्वाभिमुख इस मंदिर को सौराइन दाई या शबरी का मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में श्रीराम और लक्ष्मण धुनष-बाण लिए विराजमान है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक, लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के शिलालेखों में इस मंदिर के निर्माण के काल का उल्लेख है कि गंगाधर नामक अमात्य ने एक शौरी मंडप का निर्माण कराकर पुण्य कार्य किया था। शौरी वास्तव में भगवान विष्णु का नाम है।
Updated on:
16 Jan 2024 02:21 pm
Published on:
16 Jan 2024 01:35 pm
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