जिले के बोतल बंद पानी के कारोबार में लगे ज्यादातर व्यापारी धीरे-धीरे खुद का प्लांट लगाकर ब्रांडेड कंपनियों के कारोबार में सेंध लगा रहे हैं और अमानक पानी को बोतल बंद कर बाजार में धड़ल्ले से खपा रहे हैं। बोतल बंद पानी से लगातार काई व कचरा निकलने की शिकायत मिल रही है, फिर भी ऐसे प्लांट के खिलाफ खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
आईपीएल शुरू होने के साथ ही लगने लगा सट्टा, सटोरियों पर नकेल कसने पुलिस ने बनाई ये रणनीति इस संबंध में आमजन को कहां शिकायत करें इसकी भी जानकारी नहीं है। चांपा रोड निवासी संतोष यादव द्वारा शनिवार की रात नैला रेलवे फाटक के पास खरीदे गए सील बंद बोतल के पानी से काई निकला, लेकिन संतोष को कहां शिकायत करनी है, इसकी जानकारी नहीं है। इसके चलते संतोष काई युक्त पानी का बोतल लेकर पत्रिका कार्यालय पहुंच गया। बोतल में काई स्पष्ट दिख रहा है।
बोतल बंद पानी को एक स्थानीय कंपनी द्वारा बाजार में उतारा गया है। इससे यह बात साबित हो रहा है कि संबंधित प्लांट में महीनों से सफाई नहीं हुई है। खासकर प्लांट के पानी टंकी की सफाई नहीं होने के कारण ही काई बोतल तक पहुंची है। वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि काई बोतल तक पहुंच गई, मतलब पानी का कोई ट्रीटमेंट नहीं किया गया है।
पानी को फिल्टर करने की मशीन से नहीं गुजारते हुए टंकी से सीधे बोतल में भर दिया गया है। जिले में आधा दर्जन से अधिक बोतल में पानी बंद करने का प्लांट है, जिसमें कभी विभागीय अधिकारी झांकने तक नहीं पहुंचते।
फ्लेवर्ड पानी का भी बुरा हाल
जिले में एक दर्जन से ज्यादा बरफ फैक्ट्री है, जहां फ्लेवर्ड मीठा पानी छोटी-बड़ी झिल्लियों में भरकर बेचा जाता है। संतरा, नींबू, कोला आदि फ्लेवर में बिकने वाले पानी को बच्चे बड़े चाव से पीते हैं। कुछ दुुकानों में तो इसे फ्रीजर में जमाकर बेचा जाता है। ऐसा पानी बनाने के लिए प्लांट में केमिकल का बेधड़क इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही अमानक पानी का उपयोग किया जाता है।
अमानक व केमिकल युक्त मीठा पानी बच्चों के सेहत पर विपरीत असर डाल रहा है, लेकिन ऐसे कारोबार पर भी लगाम लगाने विभागीय अधिकारी रूचि नहीं ले रहे हैं।