
बाइपास अधूरा, शहर में सफर कर रहे जान जोखिम में डालकर
जांजगीर-चांपा. शहर में यातायात सुगम बनाने के लिए तीन साल पहले बाइपास का निर्माण तो शुरू हो गया है। लेकिन वह आज तक भी अधूरा ही है। जबकि उसको दो साल में बनना था। शहरी क्षेत्रों में भारी-भरकम वाहनों के बढ़ते दबाव और बेतरतीब पार्किंग के कारण सड़क पर सफर करने वालों की जान जोखिम मेें है। यातायात विभाग की उदासीनता के कारण हर ओर खतरा मंडरा रहा है। भीड़-भाड़ वाले इलाके सहित हर चौक-चौराहों में टै्रफिक व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। जांजगीर और चांपा शहर के बीच तो आवागमन करना खतरे से खाली नहीं है।
जिला मुख्यालय में यातायात व्यवस्था दिन ब दिन बदतर होती जा रही है। भारी-भरकम वाहनों के सड़कों पर बेतरतीब खड़े होने से व्यवस्था बदहाल हो जाती है। विभागीय लापरवाही के चलते शहर मेंं नेताजी चौक, कचहरी चौक, बीडीएम चौक, नैला रोड, बस स्टैंड व एफसीआई गोदाम, कृषि उपज मंडी सहित खोखरा चौक में वाहनों की लंबी कतार व अव्यवस्थित पार्किंग का नजारा अब आम हो गया है। कुछ चौरहों में ट्रैफिक व्यवस्था की कमान संभालने जवान तो डटे रहते हैं लेकिन वाहनों के बढ़ते दबाव व बेतरतीब वाहनों की पार्किंग से शहर में बिगड़ रही यातायात व्यवस्था सुधारने की कवायद ही नहीं की जाती। पत्रिका ने जब शहर में यातायात व्यवस्था का जायजा लिया तो हर ओर अव्यवस्था का आलम नजर आया। केरा रोड में खोखरा चौक के पास सुबह 10 बजे से ट्रकों के बेतरतीब जमावड़े से सड़क जाम था। जिससे लोगों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर तकरीबन 1 बजे कचहरी चौक में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला। अकलतरा रोड के साथ ही शहर के हर एक मोड़ व चौराहे पर यातायात की बदहाल स्थिति रही। ऐसे में राहगीरों को कुछ देर तक आवाजाही में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस तरह का नजारा लगभग हर दिन रहता है। शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले भारी वाहनों से राहगीरों को अधिक खतरा है। जांजगीर और चांपा शहर के बीच ट्रैफिक का दबाव अधिक होने के कारण आए दिन हादसे भी होते हैं। ऐसे में बाईपास निहायत जरूरी हो गया है। जांजगीर के आउटर से बाईपास बनने का काम तीन साल पहले से शुरू चुका है। बाइपास सड़क दो साल में बनना था। लेकिन आज तक निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। अभी हसदेव नदी में पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। अभी नहीं लगता कि यह सड़क छह माह में पूर्ण हो जाएगा। पूर्ण काम में लगभग एक साल का समय लग सकता है। जबकि एनएच के अधिकारियों का कहना है कि मई तक में बाइपास सड़क बनकर तैयार हो जाएगा। यह सड़क बनारी के पास गांवों से होते हुए सीधे चांपा निकलेगी। बाईपास बनने से शहरी क्षेत्र में भारी वाहनों का दबाव कम होगा और बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था को भी काफी हद तक सुधारा जा सकता है।
पार्किंग की सुविधा का अभाव
जिला बनने के एक दशक बाद भी जिला मुख्यालय में सरकारी आफिस व मार्केट के आसपास कहीं पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं हो सकी है। शॉपिंग करते समय या कार्यालयीन काम के लिए दफ्तर पहुंचे लोगों को सड़क किनारे वाहनों की पार्किंग करना पड़ती है। ऐसे में शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। दूसरी ओर स्टाफ की कमी की वजह से भी हर चौक-चौराहे दफ्तर व भीड़-भाड़ वाले इलाके में ट्रैफिक के जवानों की डयूटी लगा पाना संभव नहीं है, जिससे व्यवस्था बदहाल हो गई है।
हादसे के बाद लेते हैं सुध
सड़क में यातायात व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने विभाग कभी अलर्ट नजर नहीं आता। सड़क हादसे या चक्काजाम की स्थिति में ही पुलिस और यातायात का अमला सजग होता है। जवाबदार नुमाईदे अव्यवस्था को सुधारने अपने स्तर पर सतर्कता बरतते हैं लेकिन चंद दिनों बाद फिर स्थिति ज्यों की त्यों नजर आती है। यातायात विभाग के नुमाइंदां की उदासीनता के चलते दिन ब दिन यातायात व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।
विजय साहू, सब इंजिनियर, एनएच
Published on:
27 Feb 2019 05:02 pm
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