
CG News: जांजगीर चांपा के जिला अस्पताल में डॉक्टरों की घोर लापरवाही के चलते एक प्रसूता की मौत हो गई। पिछड़े व अभावग्रस्त परिवार से बिलांग करने वाले परिजनों से इस वजह से आवाज नहीं उठाई क्योंकि उन्हें विवाद मोल लेने का तुक नहीं लगा और दूसरी ओर उनके रिलेटिव भी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं।
जिला अस्पताल में एक मां ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म तो दिया लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के चलते खुद इस दुनिया में नहीं रही। यहां पर दुखद बात यह है कि जन्म लेने के बाद शिशु के सिर से मां का साया छिन गया। वहीं परिजन के घर में मातम पसरा हुआ है।
धरती के भगवान कहे जाने वालों के द्वारा कभी-कभी इतनी भयावह चूक हो जाती है कि उनके ही हाथों किसी की जान चली जाती है। कुछ ऐसा ही मामला जिला अस्पताल में चार दिन पहले सामने आया। जिसमें जचकी के दौरान एक प्रसूता की मौत हो गई। दरअसल, कटौद निवासी सुरेंद्र यादव ने अपनी पत्नी भारती को प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। प्रसूता ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दी। प्रसव के बाद प्रसूता की ब्लीडिंग थमने का नाम नहीं लिया।
इस दौरान प्रसूता के बच्चादानी में कुछ समस्या आ गई। इससे लगातार चार घंटे तक ब्लीडिंग होते रही। डॉक्टरों ने उसके बच्चेदानी को निकालने के लिए नए सिरे से आपरेशन करने थियेटर में ले गए। इस दौरान फिर उन्हें एनेस्थिसिया एक्सपर्ट की जरूरत थी। वे एनेस्थिसिया के डॉक्टर का इंतजार करते रहे, इधर प्रसूता के पेट से खून का बहाव होते रहा। आखिरकार चार घंटे बाद जब एनेस्थिसिया की डॉक्टर आपरेशन थियेटर पहुंचा तब तक प्रसूता की जान चली गई थी।
इस दौरान मृतका के परिजन के अलावा उनके रिश्तेदार स्वास्थ्यकर्मी भी मौजूद रहे। इस दौरान डॉक्टरों की लापरवाही को देखते हुए खूब खरी-खोटी भी सुनाई, उनका मानना था कि प्रसूता की मौत डॉक्टरों की लावरवाही के चलते ही हुई है। इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा? देर रात तक दोनों पक्षों में वाद विवाद का दौर चला फिर किसी तरह मृतक के परिजनों को मना लिया गया।
इस दौरान भारती यादव ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दी थी। नवजात शिशु के सिर से मां का साया छिन जाने से उसे जिला अस्पताल के ही एसएनसीयू में भर्ती किया गया है। उस मासूम को अब मां का दूध तो नसीब नहीं हो रहा लेकिन सरकार के नुमाइंदों के करतूत का खामियाजा जरूर भुगतना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल की लेडी डॉक्टर प्रियंका जोशी जो डीएमएफ मद से संविदा में पोस्टिंग है, उसके तेवर नरम होने के बजाए उफान पर था। पत्रिका ने जब पूरे घटना की जानकारी डॉ. जोशी से मांगी तो उसका कहना है कि मैं कुछ भी जानकारी नहीं दे सकती, आप सिविल सर्जन से ले लो। जबकि असल मौत का जिम्मेदार वही डॉक्टर थी क्योंकि वही पूरे केस में लीड कर रही थी।
सूत्रों की माने तो जचकी के दौरान महिला के गर्भासय से लगातार खून का प्रवाह होते रहा। स्टॉफ नर्सेस के अलावा वार्ड आया सहित पूरा अमला खून की धार को पोछने के लिए एक के बाद एक चादर का इस्तेमाल करते रहे, लेकिन दुर्भाग्य था कि खून की धार को रोकने के लिए जिला अस्पताल की चादर भी कम पड़ गई।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अनिल जगत का कहना है कि जचकी के दौरान प्रसूता की मौत हुई है। दरअसल, सिजेरियन आपरेशन के दौरान प्रसूता ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया, इसके बाद प्रसूता के बच्चेदानी में समस्या आ गई। इसके चलते उसकी ब्लीडिंग रुकने का नाम ही नहीं लिया। आखिरकार प्रसूता की मौत हो गई। एक फीसदी ऐसे मामले सामने आते ही रहते हैं।
Published on:
03 Jul 2024 06:23 pm
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