
जांजगीर-चांपा. सूरज आग उगल रहा है। पारा रिकॉर्ड तोड़ रहा है। सड़कों पर दोपहर को सन्नाटा पसर जाता है। तभी होती है स्कूल की सुबह वाली पारी की छुट्टी और लगनी शुरू होती है दूसरी पारी। बच्चों को तपती, चिलचिलाती धूप में स्कूल से घर आना पड़ता है, तो दूसरी पारी में लगने वाली कक्षाओं के लिए स्कूल जाना पड़ता है। बच्चे इस गर्मी को सहन नहीं कर पा रहे हैं। वे गर्मी से लड़ नहीं पा रहे हैं। बच्चे डिडाइड्रेशन के शिकार हो रहे हैं, लेकिन सरकार है कि इस तापमान को इतना नहीं मान रही कि स्कूल को बंद करवा दे, जबकि स्कूल बंद करने की मांग उठ रही है।
शिशुरोग विशेषज्ञों ने बताया कि इस तापमान में जब बड़े खुद के शरीर को नियंत्रित नहीं रख पाते तो फिर ये तो बच्चे हैं। इतने तापमान में जरा सी चूक से शरीर की तापमान नियंत्रण व्यवस्था फेल हो जाती है, जिसका खमियाजा बीमार होकर भुगतना पड़ता है। अधिक पसीना आने से शरीर में सोडियम क्लोराइड, बाई कार्बोनेट की मात्रा घट जाती है।
पसीने से शरीर में मौजूद अन्य इलेक्ट्रोराइड्स की क्षति हो जाती है। इन सब बातों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। वहीं पालकों का मनना है कि 42 डिग्री तक तापमान है, ऐसी स्थिति में सरकार को पहले छुट्टी देने की घोषणा करने कोई मुश्किल नहीं है। सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है।
रखें इन बातों का ख्याल
विशेषज्ञों की राय में बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं, तरल पदार्थ दें, जैसे फलों का जूस। जरुरत न हो तो धूप में न निकलने दें। घर में खेल में व्यस्त रखें। बच्चों को घर से स्कूल भेजें तो उनके शरीर के प्रत्येक हिस्से को कवर रखें। मुंह में स्कार्फ बांध दें, ताकि मुंह-नाक से गर्म हवा अंदर प्रवेश न करे। पूरे बाहों के कपड़े पहनाएं। स्कूल भेजते वक्त हल्का भोजन दें, कोशिश करें तरल पदार्थ दें। साफ स्वच्छ पानी अवश्य दें, क्योंकि गंदे पानी से डायरिया और हेपेटाइटिस का खतरा हो सकता है।
Published on:
05 Apr 2018 07:23 pm
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