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अहाता व चखना सेंटर अवैध, फिर भी जिले के हर भट्ठी के सामने दुकानें संचालित

जिले में अवैध चखना दुकान और शराब का कारोबार चरम पर है। आबकारी विभाग का काम इन अवैध कार्यों पर अंकुश लगाना है, लेकिन मोटा कमीशन लेकर अवैध कारोबार को फलने फूलने दिया जा रहा है। अवैध कारोबार को आबकारी विभाग का खुला संरक्षण होने की वजह से पुलिस की कार्रवाई भी फीकी पड़ रही है। हद तो तब हो गई जब शहर व आसपास के गांव के भीतर ही अघोषित अहाता और अवैध चखना सेंटर खोल दिया गया। यहां सुबह से लेकर देर रात तक शराब खोरी कराई जाती है।

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अहाता व चखना सेंटर अवैध, फिर भी जिले के हर भट्ठी के सामने दुकानें संचालित

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सरकार ने शराब दुकानों के सामने कोई भी दुकान संचालित करने के लिए एक नियम निर्धारित कर रखा है। जिसके तहत शराब दुकानों से 50 मीटर की दूरी पर कोई भी दुकान संचालित नहीं होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में जिले की हर शराब दुकान के काफी नजदीक में चखना सेंटर का संचालन किया जा रहा है। एक भ_ी के सामने एक प्रमुख दुकान है और कई छोटी दुकानों भी चल रही हैं। इनके पास कोई अनुमति भी नहीं है। फिर भी इनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि इन चखना सेंटर को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। इस कारण से प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। भ_ी के आसपास डिस्पोजल गिलास, पानी पाउच और कागज के प्लेट बिखरे पड़े रहते हैं। शहर की बात करें तो मेन रोड में बस स्टैंड के पास देशी व विदेशी दोनों दुकानें है। यहां पर दुकान के चोरों ओर चखना दुकान है, जहां पर आसानी से शराब पीते लोग नजर आ जाएंगे। इस मेन रोड में शाम के समय हमेशा गाली-गलौच व शराबी आपस में लड़ाई-झगड़ा करते रहते हैं। वहीं अकलतरा, बलौदा सहित शहर से लगे गांव पिसौद में तो धड़ल्ले से खुलेआम ऑलीशन अहाता बनाकर संचालित किया जा रहा है। यहां पूछने पर कहा गया कि आबकारी विभाग से तगड़ा सेटिंग है। इसी कारण तो वर्षो से ये दुकानें फल-फूल रहे हैं।
वर्षों से चल रहे चखना सेंटर
पिछले वर्षोँ से जिले के अधिकांश भ_ी में अघोषित अहाता और चखना दुकानों का संचालन किया जा रहा है। शराब दुकान के सामने चखना दुकान लगे रहने के कारण शराबी यहीं बैठ जाते हैं। असामाजिक तत्व गली-गलौच और मारपीट को अंजाम देते हैं। इससे आसपास के रहवासी काफी परेशान रहते हैं और इसका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दरअसल ज्यादातर अवैध चखना सेंटर राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों या गुंडे-बदमाशों के हाथ है। सरकारी अमले से इनकी जुगलबंदी ऐसी कि कभी किसी सेंटर को बंद कराने की कोशिश ही नहीं की गई।
ढाबा में सख्ती दिखाने वाली पुलिस चखना दुकानों से दूर
छोटे-बड़े चखना दुकानों को बांटकर रोजाना और माहवार वसूली की जा रही है। छोटे चखना दुकानों से पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा वसूली की जाती है। आबकारी के साथ पुलिस से भी इन दुकानदारों की सेंटिंग है। जो रकम आबकारी एक दिन में इनसे लेता है, वहीं पुलिस के पास उतने ही पैसे हर माह पहुंच जाता है। यही वजह है कि ढाबों में सख्ती दिखाने वाली पुलिस अभी तक चखना दुकानों से दूर है।
50 मीटर पर दुकान व डिस्पोजल बेचने पर रोक
राज्य सरकार ने खुद के हाथों में शराब बिक्री का काम लेने के साथ अहाता पर प्रतिबंध लगा दिया है। नियम अनुसार दुकान के 50 मीटर में चखना दुकान लगाने की अनुमति नहीं है पर नियम से किसी को कोई लेना देना नहीं। इसी तरह निर्देश के अनुसार दुकान के पास खाने के या प्लास्टिक के सामानों का बिक्री करने मनाही है। पर इन नियमों का कहीं पालन नहीं हो रहा है। देशी और विदेशी शराब दुकानों को एक ही स्थान पर संचालित किए जाने के कारण अहाता सिस्टम को भी खत्म कर दिया गया था।