
क्रोकोडायल पार्क (फोटो सोर्स- AI)
Crocodile Park in Chhattisgarh: आमतौर पर मगरमच्छों को झीलों और नदियों में देखा जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा अनोखा गांव है जहां मगरमच्छ गलियों में आज़ादी से घूमते हैं और इंसान बिना किसी डर के उनके पास से गुजरते हैं। यह नजारा देखने को मिलता है छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के कोटमी सोनार गांव, जहां इंसानों और मगरमच्छों के बीच एक अनोखा रिश्ता देखने को मिलता है।
इस गांव की खास बात यह है कि यहां 400 से ज्यादा मगरमच्छ खुले में रहते हैं, और वो भी घनी आबादी वाले क्षेत्र में। गांव के बीचोबीच स्थित एक झील में ये मगरमच्छ कई दशकों से रह रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि अब तक किसी इंसान पर मगरमच्छ ने हमला नहीं किया और न ही इंसानों ने कभी उन्हें नुकसान पहुंचाया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मगरमच्छ उनके जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी इन मगरमच्छों के बीच निर्भीक होकर रहते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने 2006 में कोटमीसोनर में मगरमच्छों की संख्या को देखते हुए उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए यहां क्रोकोडाइल पार्क की स्थापना की है। इस पार्क में बने बड़ी सी झील में लगभग 400 से भी अधिक मगरमच्छ रहते हैं। कोटमीसोनार का यह क्रोकोडाइल पार्क चेन्नई के बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा क्रोकोडाइल पार्क है।
क्रोकोडायल पार्क में तकरीबन 400 मगरमच्छ पल रहे हैं। गर्मी में इनका ब्रीडिंग का समय होता है। बारिश के दिनों में अंडे बादल की गरज में फूटते हैं। अंडे से निकला बच्चा छिपकली के आकार का होता है। जो पार्क की जाली से आसानी से बाहर निकल जाता है। ऐसे इनकी संख्या क्षेत्र में बढ़ती जाती है। कई तो तालाब में पलने लगते हैं तो कई गांव की गलियों में बिलबिलाते रहते हैं। जिसे ग्रामीणों व वनकर्मियों द्वारा पकड़कर पार्क में शिफ्ट किया जाता है।
90 एकड़ के क्रोकोडायल पार्क में तकरीबन 400 मगरमच्छ है। इसके अलावा पार्क के एक 500 मीटर की दूरी पर 110 एकड़ के कर्रानाला डेम में तकरीबन 100 से अधिक मगरमच्छ हैं। इसके आलावा कोटमीसोनार के जगतालाब दर्रीतालाब, नया तालाब, उपरोहित तालाब के अलावा दर्रीटांड़, कल्याणपुर, पोड़ीदल्हा, परसाहीनाला गांव के तालाबों में बड़ी तादात में मगरमच्छ निवासरत हैं।
अप्रैल मई का महीना मगरमच्छों का प्रजनन काल का दौर रहता है। मई जून में मादा मगरमच्छ के अंडे परिवक्व होकर फूटते हैं। जो आसपास के गांवों में पहुंच जाते हैं। ग्रामीणों की सूचना पर इसका रेस्क्यू तभी किया जाता है जब ग्रामीण हमें सूचना देते हैं। अलग से इसका रेस्क्यू करने की कोई योजना हमारे पास नहीं रहती।
बता दें कि कोटमी सोनार गांव में मगरमच्छ आज से नहीं, बल्कि दशकों से है। बताया जाता है यहां 1857 से ही बड़ी संख्या में मगरमच्छ पाए जा रहे हैं, लेकिन कभी मगरमच्छों के कारण किसी इंसान की मौत की स्थिति नहीं बनी है। इसके अलावा आसपास के गांव पोड़ीदल्हा, कल्याणपुर, रसेड़ा, अर्जुनी, अकलतरी में भी मगरमच्छ दिखाई देते हैं।
मगरमच्छों के साथ पीढ़ियों से जुड़े रहने के कारण इस पूरे इलाके के लोग उनका आदर भी करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक हम मगरमच्छ को देवता मानते हैं, उनकी पूजा करते हैं।
देश के दूसरे सबसे बड़े क्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार के आसपास के गांवों के अलावा हर तालाब, पोखर, डबरी में इन दिनों मगरमच्छ के बच्चे निकलने लगे हैं। इसकी प्रमुख वजह है कि पार्क के आसपास के गांवों में भी बड़ी तादात में मगरमच्छ पल रहे हैं। जिसे वन विभाग संरक्षित नहीं कर पा रहा है।
हर रोज की तरह सोमवार को भी कोटमीसोनार के पार्क के करीब मझोत पारा डबरी तालाब के पास २ फीट का मगरमच्छ पानी में तैर रहा था। जिसे ग्रामीणों ने निकाला और पार्क में शिफ्ट किया है। बारिश के दिनों में क्रोकोडायल पार्क के आसपास के हर गांवों में इसी तरह मगरमच्छ निकलते हैं और गांव की गलियों में वे स्वच्छंद विचरण करते हैं। अच्छी बात यह है कि ये किसी को काटते नहीं। क्योंकि एक से तीन-चार फीट के मगरमच्छ आसानी से लोगों के काबू में आ जाता है और लोगों पर हमला नहीं कर सकता। यही वजह है कि लोग इसे आसानी से पकड़ लेते हैं।
कोटमीसोनार के इस क्रोकोडाइल पार्क का संचालन जिला के फॉरेस्ट विभाग द्वारा किया जाता है। यहां मगरमच्छ को देखने के लिए लोग काफी उत्साहित होकर आते हैं और नज़दीक से मगरमच्छ को देख कर आनंद लेते हैं। यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला, फिसलपट्टी आदि लगाए गए हैं।
जांजगीर चांपा जिले के साथ ही राज्यभर के लोग प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ देखने पहुंच रहे हैं। यहां पार्क में एंट्री शुल्क प्रति व्यक्ति 20 रुपए और बच्चों के लिए 10 रुपए निर्धारित किया गया है। वहीं, गांव वालों के लिए यह बिल्कुल फ्री है। यह पार्क सुबह 09 बजे से शाम 06 बजे तक खुली रहती है। सप्ताह में एक दिन, सोमवार को, यह बंद रहती है।
Updated on:
16 Jul 2025 11:53 am
Published on:
15 Jul 2025 06:14 pm
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