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#Topic Of The Day : बोझ नहीं मानसिक दिव्यांग, समझने की आवश्यकता : राठौर

उन्होंने बताया कि पहले पहल बच्चों के परिजन हम पर विश्वास नहीं कर पाते थे और बच्चों को संस्थान तक लाने बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी।

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#Topic Of The Day : बोझ नहीं मानसिक दिव्यांग, समझने की आवश्यकता : राठौर

#Topic Of The Day : बोझ नहीं मानसिक दिव्यांग, समझने की आवश्यकता : राठौर

टॉपिक ऑफ द डे
जांजगीर.चांपा. पत्रिका डॉट काम द्वारा आयोजित टॉपिक ऑफ द डे में देव सेवा समिति द्वारा संचालित मानसिक विकास संस्थान के संचालक रामेश्वर राठौर उपस्थित हुए। उनका मानना है कि मानसिक दिव्यांग किसी पर बोझ नहीं है, अगर उन्हें समझकर उनकी जरुरतों को पूरा किया जाए तो वे अपने सामान्य कामकाज के साथ बाहरी कार्यों में भी सहयोग कर सकते हैं।

मानसिक विकास संस्थान के संचालक रामेश्वर राठौर ने इसी कड़ी में आगे बताया कि उनकी संस्थान से कई बच्चे ऐसे हैं, जो आवश्यक इलाज तथा पढ़ाई के साथ कौशल विकास कार्यक्रमों से काफी हद तक ठीक हैं और अपने घर के लोगों के कामों में हाथ बंटा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब बच्चा मानसिक तौर पर विकास नहीं करता तो घर वालों की चिंता बढ़ जाती है और वे अन्य बच्चों की तरह उन पर ध्यान नहीं देते, जबकि उनको ही सबसे ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है।

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उन्होंने बताया कि मानसिक दिव्यांग बच्चे किसी पर बोझ नहीं होते, बस उनको समझने की जरूरत होती है, फिर वे अपने साथ सभी के चहेते बन सकते हैं। मानसिक विकास संस्थान के संचालक राठौर ने बताया कि उनको अपने गांव में ही मानसिक दिव्यांग बच्चों की स्थिति देखी नहीं गई, तब वे जांजगीर में संचालित संस्था के संचालक जीआर बर्मन से मिले, फिर दोनों मिलकर दिव्यांग बच्चों के क्षेत्र में कार्य करने लगे। उन्होंने बताया कि पहले पहल बच्चों के परिजन हम पर विश्वास नहीं कर पाते थे और बच्चों को संस्थान तक लाने बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी। धीरे-धीरे लोगों के बीच जागरूकता आते गई और वे अपने बच्चों को संस्थान में भर्ती करने लगे।

उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को अपने स्वयं के काम करने के साथ थोड़ा बहुत जोड़-घटाव के साथ रुपए-पैसे की जानकारी दी जाती है। फिर उनकी रूचि अनुसार कौशल विकास का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। संस्थान के खर्चों के संबंध में बताया कि 60 फीसदी रकम शासन की ओर से मिलता है और शेष 40 फीसदी रकम स्थानीय दानदाताओं से मिल जाता है।

संस्थान में बच्चों के साथ वृद्धजन भी रहते हैं। सभी को चिकित्सकीय सुविधा के संबंध में बताया कि जिला अस्पताल के डॉ. एचएस चंदेल, डॉ.अनिल जगत, डॉ. संदीप साहू का लगातार सहयोग मिलता है। साथ ही निजी चिकित्सक डॉ. संतोष मोदी का भी सहयोग मिलता है, जो एक बार फोन करने पर तुरंत हाजिर हो जाते हैं और अपने संसाधन से इलाज करते हैं। उन्होंने दिव्यांग बच्चों के पालकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को समीप के मानसिक विकास संस्थान में अवश्य भर्ती कराएं, जहां उनको उचित देखभाल मिलेगा।