
अमृत सरोवर योजना में सारे मापदंड दरकिनार फिर भी आंख मूंदकर ओके और भुगतान
पामगढ़ ब्लॉक में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना अमृत सरोवर योजना एक बार फिर से विवादों में घिर गई है। पहले भी अमृत सरोवर योजना के तहत ग्राम पंचायत तनौद और मेकरी में कागजों में ज्यादा काम दिखाकर गड़बड़ी सामने आ चुकी है। जिसमें चार कर्मचारी बर्खास्त हुए थे। एक बार फिर भी पामगढ़ जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत भवतरा, पेण्ड्री, पनगांव समेत अन्य पंचायतों में अमृत सरोवर योजना में इसी तरह की गड़बड़ी उजागर हो रही है जहां मौके पर खानापूर्ति काम हुआ है फिर भी जांच दल ने आंख मूंदकर कागजों में सब काम ओके बता दिया है और पंचायतों को लाखों रुपए का मजदूरी भुगतान भी हो गया है। इन पंचायतों में अमृत सरोवर योजना में हुई गड़बड़ी की लिखित शिकायत ग्राम बुदेंला निवासी सतीश कुमार सिन्हा ने जिला कलेक्टर से की है। गौरतलब है कि गांवों में ग्रामीणों को बेहतर निस्तारी, जल संवर्धन और तालाबों को बचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार केद्वारा अमृत सरोवर योजना चलाई जा रही है। इसके लिए गांवों में नया तालाब बनाने के अलावा पुराना तालाबों को गहरीकरण का काम किया जा रहा है। यह काम मनरेगा के तहत कराया गया है।
लीपापोती का खेल शुरु....
शिकायत के बाद लीपापोती का खेल शुरु हो गया है। जिन-जन पंचायतों की शिकायतें हुई हैं वहां जनपद पंचायत पामगढ़ के अधिकारी, इंजीनियर लगातार पहुंच रहे हैं और नाप-जोख करने में लग गए हैं। अवकाश के दिन भी गांवों में जाकर दौरा रहे हैं। विगत रविवार को ग्राम पेण्ड्री में अमृत सरोवर के तहत जो चार तालाब का निर्माण हुआ है वहां पहले से मौके पर सरपंच प्रतिनिधि समेत आधा दर्जन ग्रामीण पहुंचे थे। तकनीकी सहायक हिमांशु गुप्ता व रोजगार सहायक कुछ लिखा-पढ़ी कर रहे थे। पत्रिका टीम जब वहां पहुंची तो रविवार अवकाश के दिन भी पहुंचकर नाप-जोख किसके आदेश में करने की जानकारी चाही गई तो उनका क्षेत्र होने के कारण रोज इसी तरह सभी जगह जाने का हवाला दिया गया और फिर वहां से चुपचुप चलते बने। बताया जा रहा है कि शिकायत के बाद मामले में अफसरों ने लीपापोती का खेल शुरु कर दिया है ताकि उनकी गड़बड़ी उजागर न हो। इधर शिकायकर्ता के मुताबिक अफसरों के द्वारा शिकायत वापस लेने लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
शिकायत में इस तरह अनियमितता का आरोप
भवतरा: पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत भवतरा में अमृत सरोवर के तहत 22-23 में नया तालाब निर्माण के लिए 18.20 लाख की स्वीकृति दी गई। कार्य स्थल पर लगभग 50 गुणित 50 गुणित 1 मीटर ही खुदाई हुई है। यहां मजूदरी खर्च 14 लाख 50 हजार किया गया है जबकि कार्य में 4 से 5 लाख से ज्यादा खर्च होना नजर नहीं आ रहा। नया तालाब बनाने की आड़ में भैसा धोवा डबरी बनाया गया है। सूचना पटल पर तीन एकड़ का तालाब दर्शाया गया है जबकि मौके पर डेढ़ एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल नहीं है।
पनगांव: ग्राम पचायंत पनगांव में वर्ष 22-23 में डोगिया तालाब के गहरीकरण का काम हुआ है। स्वीकृति राशि 9.70 लाख है। जिसमें 8.90 लाख खर्च दिखाया गया है। जबकि स्थल पर 1.50 से 2 लाख ही खर्च दिख रहा है। मापदंड के तहत न तो बंड (पार) में मिट्टी दिख रही है और ही उसमें स्लोप दिख रहा है। गहरीकरण हुआ है तो मिट्टी आखिर कहां गई। हद तो यह है कि अमृत सरोवर योजना का सूचना पटल तक जमीन पर धराशायी पड़ा हुआ है।
पेण्ड्री: पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत पेण्ड्री में नया तालाब निर्माण के लिए 19.80 लाख स्वीकृति मिली। इसमें गांव में चार नामक तालाब निर्माण कराया गया है। स्थल पर 100 गुणा 25 गुणा एक मीटर ही कार्य हुआ है लगभग 5 से 5.30 लाख का ही कार्य हुआ है। जबकि खर्च 16.50 लाख दिखाया गया है। आरोप है कि नया तालाब छोटा होने की वजह से चार तालाब के बगल में बने पुराने तालाब को दर्शाकर अफसरों को गुमराह किया गया है।
बड़ा सवाल....आखिर जांच दल ने किस तरह किया निरीक्षण
मापदंड के आधार पर काम नहीं होने के बाद भी पंचायतों को पूरा भुगतान होने पर जांच मनरेगा के मैदानी अमले से लेकर जनपद में बैठे मनरेगा के अधिकारी और जिला पंचायत के जांच टीम में शामिल अफसरों की कार्यशैली पर सीधे प्रश्न चिन्ह लग रहा है कि आखिर उन्होंने किस तरह मॉनिटरिंग हुई है। लगातार पामगढ़ ब्लॉक में काम का संपादन तकनीकी सहायक अजय लहरे एवं कार्यक्रम अधिकारी सौरभ शुक्ला द्वारा किया गया। इसके बाद इसके बाद जिला स्तर पर गठित टीम में शामिल मनरेगा के एपीओ विजयेन्द्र सिंह एवं टीम कोआर्डिनेटर सुधाकर साहू ने मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन किया है। इसके बावजूद कागजों में वहीं काम कैसे सही हो गया।
अमृत सरोवर योजना के तहत शिकायत हुई है तो जांच कराई जाएगी। मापदंड के अनुसार काम नहीं हुआ होगा तो उचित कार्रवाई होगी।
एलके कौशिक, सीईओ जपं पामगढ़
अमृत सरोवर योजना में मापदंड के तहत काम हुए हैं। स्थानीय स्तर के अलावा जिला स्तर की टीम ने भी निरीक्षण किया है। शिकायतकर्ता ने जिन गांवों में गड़बड़ी होने की शिकायत की थी, उसके द्वारा खुद अपनी शिकायत लिखित में वापस ली जा रही है कि दूसरे के कहने में शिकायत की थी।
सौरभ शुक्ला, पीओ मनरेगा जपं पामगढ़
Published on:
26 Dec 2023 09:47 pm
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