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राइस मिलर्स पर नहीं प्रशासन का लगाम, नहीं बनाए ट्रीटमेंट प्लांट

शासन-प्रशासन पर व्यवसायी किस कदर हावी हैं, इसका उदाहरण जिले के राइस मिलर्स के मामले में देखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दो माह हो चुके हैं

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Piyushkant Chaturvedi

Aug 02, 2017

Rice millers do not made treatment plant

Rice millers do not made treatment plant

जांजगीर-चांपा.
शासन-प्रशासन पर व्यवसायी किस कदर हावी हैं, इसका उदाहरण जिले के राइस मिलर्स के मामले में देखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दो माह हो चुके हैं,


इसके बाद भी किसी मिलर्स ने प्रदूषण कम करने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया है। वहीं प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।


उसना राइस मिलों से निकलने वाले गंदे पानी से आसपास का माहौल प्रदूषित होता है। इससे तालाब भी प्रदूषित हो रहे हैं।


इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सभी उसना राइस मिलर्स को परिसर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाना जरूरी किया है, किंतु आदेश के दो माह बाद भी जिले के किसी भी उसना राइस मिलर्स के परिसर में प्लांट नहीं बन सका है। मिलर्स बरसात में काम नहीं करने तथा मिलों की साफ-सफाई का हवाला दे रहे हैं।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जिले के राइस मिलों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लग पाए हैं, जबकि पर्यावरण संरक्षण मंडल ने मई माह के अंतिम सप्ताह में सभी मिल मालिकों को नोटिस देकर मिल बंद करा दिया है,


जिनके यहां चिमनी व बॉयलर लगे हुए हैं। जिले में लगभग 167 राइस मिलें हैं, जिनमें से 36 उसना राइस मिल हैं। इन 36 राइस मिलों में जरूरी रूप से ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है। पर्यावरण मंडल ने सभी मिलों के संचालकों को नोटिस देकर मिल में ताला लगवा दिया है।


चूंकि बरसात में उसना मिलों में काम भी नहीं होता। इन चार माह उनकी मिलों में तालाबंदी की ही स्थिति रहती है, इसलिए मिलर्स भी इसे लेकर अभी गंभीर नहीं हैं।


दो माह का लंबा समय बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी ने भी प्लांट लगाने की जहमत नहीं उठाई है। हालांकि राइस मिलर्स इस बात का दावा कर रहे हैं कि वे धान का नया सीजन आने से पहले ही अपने परिसरों में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा लेंगे।


सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए किया है जरूरी
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ट्रीटमेंट प्लांट दूषित पानी को शुद्ध करने का प्लांट है। उसना राइस मिलों में धान से चावल बनाने के लिए पानी को गर्म कर उसे बड़े बॉयलरों में भेजा जाता है,


जिससे पानी अत्यधिक दूषित हो जाता है। इसी दूषित पानी को शुद्ध करने का काम करता है। फिल्टर होने के बाद इस पानी का उपयोग गार्डनिंग, वाहन धोने सहित अन्य कामों में कर सकते हैं। इससे पानी की बचत भी होगी और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा। प्लांट लग जाने से राइस मिल मालिक प्रकृति की मदद ही करेंगे।


नोटिस देकर बंद कराया गया है
- पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनीता सावंत का कहना है कि जिले में संचालित 36 राइस मिलों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए निर्देश दिया गया है।


यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, इसका पालन हर हाल में करना ही होगा। सभी उसना मिलर्स को नोटिस देकर मिलों को तब तक बंद करा दिया गया है,


जब तक उनके परिसर में प्लांट नहीं बन जाता। समय समय पर मिलों का निरीक्षण भी किया जा रहा है। बिना प्लांट लगाए उत्पादन नहीं कर सकते।

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