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जिले में मनमानी के मैरिज गार्डन, बिना रजिस्ट्रेशन व पार्किंग के हो रहे संचालित

जिले में मैरिज गार्डन संचालकों का मनमानी जारी है। अधिकांश शादी भवन बिना रजिस्ट्रेशन व पार्किंग के संचालित हो रहे हैं। त्यौहारी सीजन में दुकानदार, बैंक के सामने सड़क में पार्किंग होने से जाम की स्थिति उत्पन्न हुई है। इससे त्यौहारी सीजन में खरीदददारी निकले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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जिले में मनमानी के मैरिज गार्डन, बिना रजिस्ट्रेशन व पार्किंग के हो रहे संचालित

shahar me jam ka najara

शहर में अतिक्रमण रोकने ट्रैफिक पुलिस द्वारा की गई तमाम कोशिशों पर नवरात्र व दिवाली को व्यापारियों ने पानी फेर दिया। ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए दीपावली के पूर्व सारे प्रयास निरर्थक साबित हुए। पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से लोग सड़क में ही अपने वाहन को पार्क कर दिए। इस वजह से शाम से ही कचहरी चौक से लेकर नेताजी चौक व रेलवे स्टेशन तक जाम की स्थिति हर १५ से २० मिनट में बनती रही। अब त्यौहारी सीजन निपटने के बाद शादी सीजन शुरू होने वाला है। २३ को देवउठनी के साथ शादी शुरू हो जाएंगे। मैरिज गार्डन और विवाह घरों, होटलों की बुकिंग शादियों के लिए पहले हो गई है। शादियों के सीजन में शहर के मैरिज गार्डनों के कारण लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ेगा। क्योंकि शहर सहित जिले भर में नियमों को ताक में रखकर चल रहे इन मैरिज गार्डनों में पार्किंग की कोई व्यवस्था भी नहीं है। जिसके चलते मुख्य मार्गों पर बने इन मैरिज गार्डनों के बाहर यातायात व्यवस्था हर साल की तरह इस साल भी बिगडऩे की संभावना है। विवाह समारोह में शामिल होने वाले पार्किंग नहीं होने से लोग रोड पर ही वाहन खड़े करने को मजबूर होते हंै। कई बार तो इन मैरिज गार्डनों के बाहर खड़े वाहनों की वजह से लगे जाम के कारण विवाद की स्थितियां निर्मित होती है। मैरिज गार्डन और होटलों में पॉर्किंग नहीं होने से सडक़ों पर जाम लगेगा। लोगों को निकलने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। बता दे कि शहर में 20 से अधिक व अंचलभर में 100 से अधिक मैरिज गार्डन है। कुछ रजिस्ट्रेशन हो सकते है। बाकी बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे इन मैरिज गार्डनों पर प्रशासन कभी कोई कार्रवाई नहीं करता। सड़को में गंदगी फैलाने के बाद भी जुर्माने की कार्रवाई नहीं की जाती।
कचरा नष्ट करने की सुविधा तक नहीं
सुप्रीम कोर्ट के नियम के अनुसार मैरिज गार्डन से निकलने वाले कचरे को गार्डन संचालक को ही नष्ट कराना अनिवार्य है, लेकिन रिहायशी क्षेत्रों के मैरिज गार्डन व होटलों के आसपास देखा जाए, यहां का कचरा बड़ी मात्र में देखने को मिल सकता है। अधिकतर गार्डनों में कचरा उचित ढंग से नष्ट करने की सुविधा तक नहीं है। कई शादी भवन संचालक तो पास में ही कचरा को फेंक देते हैं। इससे मोहल्लेवासियों का रहना मुश्किल हो जाता है।
पार्किंग के बिना कैसे मिल गई निर्माण की अनुमति
मैरिज गार्डन के लिए पहले तो व्यवसायिक भूखंड का डायवर्सन राजस्व विभाग से कराना होता है। इसके बाद नगर पालिका से भवन निर्माण की अनुमति लेना पड़ती है। नगर पालिका में नक्शा पेश करने के साथ ही सारे नियमों को भी पालन करना पड़ता है। नगर पालिका अधिकारी, इंजीनियरों द्वारा पूरा मौका मुआयना करने के बाद ही निर्माण अनुमति दी जाती है। अब सवाल ये उठता है कि जब मैरिज गार्डनों के पास पार्किंग व्यवस्था ही नहीं है तो उन्हें अनुमति कैसे दे दी गई।
ये है मैरेज गार्डनों के लिए नियम
० कुल क्षेत्र का 25 फीसदी हिस्सा पार्किंग के लिए आरक्षित।
० प्रत्येक मैरिज गार्डन संचालक को नगर पालिका से अनुमति लेना अनिवार्य।
० मैरिज गार्डन के लिए फायर बिग्रेड की एनओसी के लिए भी शुल्क निर्धारित।
० डीजे के लिए भी समय निर्धारितए रात 10 से सुबह 8 बजे तक प्रतिबंधित।
० गार्डन में वॉटर हारर्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना जरूरी।
० सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आने-जाने के लिए दो गेट लगाना जरूरी।
० बिजली, पानी और आपात बिजली की व्यवस्था निश्चित मापदंड पर जरूरी।
० सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जवाबदारी भी मैरिज गार्डन संचालक की है।
० गार्डन में केंद्र व राज्य शासन के ध्वनि व वायु प्रदूषण नियम का पालन हो।
वर्जन
चुनाव के बाद अब शहर में पार्किंग के लिए व्यापक रूप से प्रयास किया जाएगा। बिना पार्किंग के संचालित संस्थानों में अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
चंदन शर्मा, सीएमओ नपा जांजगीर-नैला