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इस बैंक में पुलिसकर्मी खाता खुलवाने नहीं दिखा रहे रुचि, 1200 में 400 कर्मचारियों का ही खुला खाता

- बड़े कद के कर्मचारी रकम जमा करने नहीं दिखा रहे रूचि

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इस बैंक में पुलिसकर्मी खाता खुलवाने नहीं दिखा रहे रुचि, 1200 में 400 कर्मचारियों का ही खुला खाता

इस बैंक में पुलिसकर्मी खाता खुलवाने नहीं दिखा रहे रुचि, 1200 में 400 कर्मचारियों का ही खुला खाता

जांजगीर-चांपा. जिले में पुलिसकर्मियों को विभागीय सहकारी मर्यादित बैंक की सुविधा प्रदान की गई है, लेकिन इस बैंक में उम्मीद के मुताबिक पुलिसकर्मियों द्वारा खाता नहीं खुलवाया जा रहा। जिससे कर्मचारियों को बेहतर सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। १६ मई २०१८ को खुले इस बैंक में छह माह में १२०० कर्मचारियों में मात्र केवल ४०० ने ही खाता खुलवाया है। इसके चलते बैंक का बजट नहीं बढ़ पा रहा है। इसके चलते इस सुविधा का लाभ जरूरतमंद कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है।

बड़े शहरों की तर्ज पर जांजगीर चांपा पुलिस अधीक्षक ने भी कार्यालय कैंपस में पुलिसकर्मियों के लिए सहकारी समिति मर्यादित सुविधा मुहैय्या कराई गई है। एसपी नीतु कमल ने फीता काटकर बैंक की सुविधा प्रदान की है, लेकिन बैंक में पुलिसकर्मी खाता खुलवाने रुचि नहीं ले रहे हैं। कोई पांच सौ रुपए जमा कर रहा है तो कोई हजार रुपए। ऐसे में इतनी कम रकम से लाभांश राशि बहुत कम निकल रहा है।

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बड़ी बात यह है कि कर्मचारी रकम जमा करने के बजाए निजी कार्यों के लिए लोन निकलवाने अधिक रुचि दिखा रहे हैं। कोई घर में छ_ी कार्यक्रम के लिए ३० हजार रुपए निकलवाने लोन के लिए आवेदन लगाया है तो कोई घर मरम्मत के लिए आवेदन दिया है। इसी तरह हर माह दर्जनों लोगों के आवेदन पेंडिंग रहता है। आवेदन की प्रकृति व बजट के हिसाब से लोन पास किया जाता है। खाता संख्या नहीं बढऩे की दूसरी वजह यह भी माना जा रहा है कि १०० फीसदी कर्मचारियों का खाता प्रतिष्ठित बैंकों में खुला है। उनकी सैलरी अकाउंट भी बड़े बैंकों में है। ऐसे में एक बैंक के अलावा दूसरा बैंक में खाता खोलने में कर्मचारी रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके चलते बैंक का लाभांश नहीं बढ़ रहा है।

लेंगे रुचि तो होगा फायदा
टीआई, एसआई, एएसआई, प्रधान आरक्षक, आरक्षक सहित सभी वर्ग के अफसरों को मिलाकर १२०० पुलिसकर्मियों की तैनाती जिले में है। यदि १२०० पुलिस कर्मियों में एक हजार भी खाता खुल जाए तो बैंक रनिंग कंडीशन में आ जाती और बजट भी अधिक बढ़ जाता, लेकिन छोटे तबके के कर्मचारी बैंक में रकम जमा करने रुचि ले रहे हैं, लेकिन बड़े कद के कर्मचारी रकम जमा नहीं कर रहे हैं। टीआई वर्ग के अधिकारी यदि अच्छी रकम जमा करते तो कर्मचारियों को अधिक फायदा होता। लाभांस इसी बैंक में जमा रहता तो कर्मचारियों को लोन जैसी सुविधा अधिक मिलती।

बड़े कर्मचारी कम दिन के मेहमान
टीआई वर्ग के कर्मचारियों की उपस्थिति कम दिनों की होती है। उनका आए दिन स्थानांतरण होते रहता है। शुरुआती दौर में तकरीबन आधा दर्जन थाना प्रभारियों ने यहां खाता खुलवाया था, लेकिन ऐन वक्त में सभी थाना प्रभारियों का स्थानांतरण हो गया। इसके कारण बहुत से खाते बंद करना पड़ गया। इसी तरह दो सौ से अधिक कर्मचारियों को एक थाना से दूसरे थाना भेजा गया। इसके कारण उन्हें भी खाता बंद करना पड़ा।

- पुलिस सहकारी मर्यादित बैंक में तकरीबन ४०० खाता है। अमूमन छोटे वर्ग के कर्मचारियों द्वारा ५०० से हजार रुपए तक रकम जमा की जा रही है। इसी रकम को रोटेशन के आधार पर कई कर्मचारियों को सीमित लोन के रूप में उपलब्ध करा रहे हैं। यदि खाता संख्या बढ़ता और बड़े वर्ग के कर्मचारी अधिक रकम जमा करते तो बैंक का स्कोप बढ़ता- मोबिन शेख, कार्यकारी प्रबंधक