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डेढ़ माह के भीतर सरकार ने नहीं मानी मांगे तो सड़क पर फिर उतरेंगी स्टॉफ नर्सेस

आत्म विश्वास से लवरेज स्टॉफ नर्सेस को पूर्ण विश्वास है कि सरकार 45 दिन के भीतर उनकी मांगों पर विचार करेगी

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डेढ़ माह के भीतर सरकार ने नहीं मानी मांगे तो सड़क पर फिर उतरेंगी स्टॉफ नर्सेस

डेढ़ माह के भीतर सरकार ने नहीं मानी मांगे तो सड़क पर फिर उतरेंगी स्टॉफ नर्सेस

जांजगीर-चांपा. 17 दिनों की हड़ताल के बाद स्टॉफ नर्सेस ने सोमवार को अपने -अपने अस्पतालों में ज्वाइनिंग कर ली है। जिला मुख्यालय के स्टॉफ नर्सेस ने सीएमएचओ डॉ. वी जयप्रकाश को अपनी वापसी का पत्र देकर पहले उनसे मुलाकात की और जिला अस्पताल में आमद दी। इससे पहले उन्होंने अपनी जीत की खुशी का इजहार करते हुए आपस में केक काटकर जश्न मनाया। आत्म विश्वास से लवरेज स्टॉफ नर्सेस को पूर्ण विश्वास है कि सरकार ४५ दिन के भीतर उनकी मांगों पर विचार करेगी और उनका ग्रेड पेय बढ़ेगा। उनका कहना है यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानी तो वे ४५ दिन बाद पुन: हड़ताल के लिए बाध्य होंगे।

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गौरतलब है कि अपनी वेतन विसंगति सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश भर की स्टॉफ नर्सेस ने १८ मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थीं। यूनियन का कहना है कि उन्हें वर्तमान में २८०० रुपए ग्रेड पे मिल रहा है। जिसे बढ़ाकर ४६०० रुपए किया जाए। मांगों को लेकर पहले स्टॉफ नर्सेस ने स्थानीय स्तर पर हड़ताल किया। इसके बाद वे राजधानी कूच कर गए। राजधानी में उन्हें प्रशासन की मार झेलनी पड़ी। सरकार की सख्ती के आगे उनकी एक न चली। क्योंकि सरकार ने एस्मा लगाकर उनकी कमर तोड़ दी।

एस्मा लगने के बाद भी स्टॉफ नर्सेस लगातार हड़ताल पर अड़ी रही। जिसके चलते सरकार को कड़ा रुख अख्तियार करना पड़ा। सरकार ने अपने पॉवर का इस्तेमाल करते हुए उन्हें न केवल सेंट्रल जेल रायपुर में बंद कर दिया। बल्कि जेल में उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया गया। जिसके चलते स्टॉफ नर्सेस बेहद परेशान थीं।

अंत में सरकार ने उन्हें साफ चेतावनी दे दी थी कि यदि वे ४ जून तक काम पर नहीं लौटेंंगी तब उन्हें बर्खास्त किया जाएगा। सरकार के रुख को देखते हुए आखिरकार नर्सेस को वापस आना पड़ा। इस दौरान शासन स्तर से नर्सेस की मांग को लेकर नरम रूख अपनाने के समाचार मिले हैं। सोमवार को उन्होंने जिला अस्पताल में विधिवत ज्वाइनिंग कर ली। इनके हड़ताल से वापसी के बाद जिला अस्पताल में मरीजों को लाभ मिलने लगा।