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ऐ मौत! आखिर तू आती क्यों नहीं… जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों की आवाज

भूख, प्यास, गंदगी के बीच कमरे की छत को देखते हुए मरीजों के जेहन में शायद एक ही सवाल है कि ऐ मौत! आखिर तू आती क्यों नहीं.. यह स्थिति जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की है। जिला अस्पताल के फस्र्ड फ्लोर में लावारिस वार्ड में पांच लावारिस मरीज भर्ती है।

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ऐ मौत! आखिर तू आती क्यों नहीं... जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों की आवाज

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जिनके परिजन या तो आते ही नहीं है या परिजन है ही नहीं। यहां इनके गंदगी के कारण बदबू इतना है कि स्वीपर के अलावा अन्य कोई इस वार्ड में घुसना पसंद ही नहीं करते। ये पांच लावारिस मरीज सिर्फ अपनी मौत का ही इंतजार कर रहे हैं। इन्हें केवल खाना ही दे दिया जाता है। स्वीपर से बीच-बीच में वार्ड का सफाई कराया जाता है।
स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी को लेकर सरकार लगातार दावे करती रहती है, पर इन दावों के बीच जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड की कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिन्हें देखकर रूह कांप जाती है, यहां मरीज का सड़ता जिस्म और इस पर भी उसे समुचित इलाज न दिया जाना सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता दिखाई देता है। जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड का नाम ही लावारिस नहीं है बल्कि अस्पताल प्रशासन की नजर में भी यह वार्ड लावारिस ही है। इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं, आलम यह है कि यहां जो मरीज भर्ती हैं, वह सिर्फ अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। अभी वर्तमान में जिला अस्पताल में पांच मरीज भर्ती है। इसमें एक शिव स्थानीय नैला निवासी है, जिसका हाथ व एक पैर नहीं चल पाता है। इसके अलावा बाकी अन्य चार मरीज ठीक से बात ही नहीं कर पा रहे है। इसमें से कई मरीज तमिलनाडू व महाराष्ट्र का भी है। बिस्तर से नहीं उठ पाने के कारण ये सभी मरीज बिस्तर में ही टॉयलेट सहित सब कुछ कर देते हैं। इसमें से एक मरीज तो हल्का मेंटल भी है। जो अपना ही पेशाब को पी जाता है। यह एक दिन दूसरे वार्ड में पहुंच गया था, जहां से अन्य मरीज उस वार्ड से भागने लगे। बिस्तर में टॉयलेट सहित अन्य सारे काम करने से पूरा वार्ड में बदबू के मारे कोई अंदर जा नहीं सकता है। जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में करीब आधा दर्जन मरीज अपने इलाज के लिए भर्ती हैं, लेकिन इनकी हालत बद से बदतर है, वार्ड में सफाई न होने से इस वार्ड में भर्ती जिंदा मरीज नर्क से भी बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं।
स्टाफ नर्स व डॉक्टर भी नहीं आते मरीज को देखने
लावारिस वार्ड में बदबू इतना ज्यादा है कि स्टाफ नर्स व डॉक्टर भी वहां जाना पसंद नहीं करते हैं। पत्रिका की टीम जब अस्पताल पहुंची तो मौजूद स्टाफ नर्स को अंदर जाने के लिए कहा गया तो वे लोग बदबू व गंदगी व मरीज की स्थिति देखकर नहीं जाने की बात कही। वार्ड में कभी कोई डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं आता, गंदगी इस कदर है कि वार्ड में सांस लेना भी दूभर है, ऐसे में मरीज किस कलेजे से खाना खाए और पानी पिए आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है।
बुजुर्गो होने के बाद अपने हाल में छोड़ देते है परिजन
अब धीरे-धीरे मानवता खत्म होती जा रही है, इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि कई लोग अपने बूढ़े मां बाप को बुजुर्ग होने के बाद अपने स्थिति में छोड़ देते है। कुछ ही ही हाल जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों का है। नैला निवासी शिव का हाथ व पैर नहीं चल पाता है, इसके दूर के परिजन पहले हर सप्ताह आते थे, अब माह में भी नजर नहीं आते। साथ ही उसको कोई बीमारी भी नहीं है, फिर अपने साथ लेकर नहीं जाते है। ऐसा ही बाकी अन्य मरीजों का है।
जिला अस्पताल संचालक के लिए भी सिर दर्द
जिला अस्पताल में लगातार लावारिस मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ११२ व १०८ वाले सूचना मिलते ही लावारिस मरीजों को जिला अस्पताल में छोड़कर चले जाते हैं। यहां आने के बाद मरीज ठीक होने के बाद भी बाहर जाना पसंद नहीं करते, क्योंकि यहां दो टाइम का खाना पीना तो आसानी से मिल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सिम्स बिलासपुर भी ऐसे बिना अटेंडर वाले मरीज को लेते भी नहीं है। इसलिए जिला अस्पताल प्रबंधन के लिए भी यह सिर दर्द बना हुआ है।
वर्जन
लावारिस वार्ड की सफाई स्वीपर से कराया जाता है। बिस्तर में ही सब कुछ करने के लिए वार्ड में बदबू का आलम तो हैं। हम लोग बीच-बीच में इलाज करने जाते हैं। इसमें से अधिकांश मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन परिजन नहीं होने व यहां खाना मिलने के कारण जाना पसंद नहीं करते हैं।
डॉ. अनिल जगत, सीएस जिला अस्पताल
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