
सर्व समाज ने देश के 545 सांसदों का किया पिंडदान, कौआ भोज व मृत्यु भोज भी कराया, घटनाक्रम से प्रशासन रहा बेखबर
जांजगीर-चांपा. एसटी-एससी एक्ट की आग जहां पूरे देश में लगी है अब उससे जांजगीर-चांपा जिला भी अछूता नहीं है। भले ही इसके विरोध में देश की सभी राजनीतिक पार्टियां राजनीतिक रोटी सेंक रही हों, लेकिन चांपा के सर्व समाज ने रविवार को अनोखे तरीके से इस एक्ट का विरोध जताया।
समाज के लोगों ने देश भर के 545 सांसदों की मर चुकी अंतरात्मा को जगाने के लिए हसदेव नदी के तट पर डोंगाघाट में सांसदों का न केवल विधि-विधान से पिंडदान किया, बल्कि मृत्यु भोज और कौआभोज का भी आयोजन किया है। इन 545 सांसदों के पिंडदान के बारे में जांजगीर सांसद कमला देवी पाटले का कहना है कि इन सासंदों में भी सर्वदल व समाज के सांसद शामिल हैं, जो भी निर्णय हुआ सभी की सहमति से हुआ है। इसका विरोध लोग करें या न करें ये उनकी स्वतंत्रता है।
सर्व समाज के लोगों का कहना है कि भारतीय संसद के 545 सदस्यों की आत्मा का स्वर्गवास सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट संशोधित बिल पारित करते समय हो गया था। संविधान निमार्ता भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान में मौलिक अधिकार के तहत समानता के अधिकार में भारतीय समाज में वोट की राजनीति के लिए जातिगत राजनैतिक द्वेष फैलाकर समाजिक समरसता, भाईचारा व सौहार्दपूर्ण वातावरण को ठेंस पहुंचाकर आपसी सामंजस्य को दूषित करने का प्रयास इन राजनेताओं द्वारा किया जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि सभी दलों के सांसदों की आत्मा को मृत समझकर इनका काल्पनिक श्राद्ध एवं कौओं को भोजन कराया गया। आज दोपहर करीब एक बजे बड़ी संख्या में सर्व समाज के लोग चांपा में हसदेव नदी के तट पर स्थित डोंगाघाट पहुंचे। यहां के बाद सभी डोंगाघाट पहुंचे, जहां 545 सांसदों का विधि-विधान से पिंडदान किया गया। इसके बाद कौआ भोज व मृत्यु भोज का आयोजन हुआ।
किसी को नहीं लगी भनक
एक तरह जहां देश भर के सांसदों का चांपा में श्राद्ध और मृत्यु भोज कराया गया, वहीं इस पूरे घटनाक्रम से पुलिस व जिला प्रशासन अनभिज्ञ रहा। पिंडदान का कार्यक्रम होने के बाद कुछ पुलिसकर्मी डोंगाघाट पहुंचे, लेकिन तब तक कार्यक्रम खत्म हो चुका था। इधर सर्व समाज एसटी-एससी एक्ट के खिलाफ आंदोलित है उससे भविष्य में आंदोलन के और तेज होने की संभावना जताई जा रही है। क्योंकि चांपा में ही इसके पूर्व सर्व समाज के बैनर तले रैली और हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया था।
-एससी-एसटी एक्ट पहले भी था और उसे आगे भी यथावत रखा गया है। रही बात इसमें सांसदों की सहमति की तो उसमें भी सभी दल और समाज के सांसद शामिल थे। इसमें राजनीतिक रोटी सेंकने जैसी बात कहना गलत होगा-कमला देवी पाटले, सांसद, जांजगीर-चांपा
Published on:
30 Sept 2018 07:38 pm
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