
चांपा स्थित प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड प्रबंधन
जांजगीर-बाराद्वार. चांपा स्थित प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड प्रबंधन यूं तो समाज हित और जनसरोकार के नाम पर काम करने के बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन हकीकत यह है कि पीआईएल इसकी आड़ में लोगों को बीमारी बांट रहा है।
इसका जीता जागता उदाहरण बाराद्वार में बनी पीआईएल की साइडिंग है। यहां से निकलने वाला जहरीला धुंआ व डस्ट अब लोगों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। इसके चलते यहां के वार्ड क्रमांक 3 एवं 4 के निवासी बीमार हो रहे हैं। इससे सबसे अधिक प्रभावित छोटे बच्चे हो रहे हैं।
पिछले कई सालों से बाराद्वार में पीआईएल का साइडिंग एवं रेक प्वाइंट स्थित है। इस रेक प्वाइंट से ठीक सटी एक घनी बस्ती भी है, जहां हजारों की संख्या में लोग रह रहे हैं। साइडिंग के दूसरी ओर राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरा है। इस रास्ते से ट्रक व डंपर पीआईएल की साइडिंग से लाल गिटटी व कोयला चांपा स्थित प्लांट तक परिवहन करते हैं। लोगों का कहना है कि पीआईएल की रेक देर रात या फिर तड़के लगती है। इससे लोग न तो चैन से सो पाते हैं और न सुबह की शुद्ध हवा में सांस ले पाते हैं।
पर्यावरण अधिकारी ने किया कार्यवाही का दावा
पर्यावरण विभाग बिलासपुर की अधिकारी अनीता सावंत का कहना है कि वह रेक पहुंचने के समय कभी भी अचानक दौरा कर वहां के माहौल को देखेंगी और यदि ऐसा वातावरण बना तो वह इस पर जरूर कार्यवाही करेंगी।
रेक पहुंचते ही घरों में घुस जाते हैं लोग
यहां अब हालत ऐसी हो गई है कि जब भी पीआईएल की कोयले या लाल गिट्टी की रेक साईडिंग में पहुंचती है लोग अपने घरों में दुबक जाते हैं। इसका कारण है कि उससे इतनी अधिक मात्रा में डस्ट उड़ती है कि दिन का उजाला रात में तबदील हो जाता है। गिट्टी व कोयला को वाहन में लोड करते समय भी भारी मात्रा में डस्ट एवं धूल सड़क सहित ठीक किनारे बसे वार्डों तक फैल जाती है। इससे लोग गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इस बात को लेकर वार्डवासियों ने कई बार उच्चाधिकारियों से भी शिकायत की है लेकिन पीआईएल प्रबंधन इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है।
सुविधाओं का नहीं दिया जा रहाहै ध्यान
पीआईएल की इस साइडिंग में सैकड़ों की संख्या में मजदूर काम करते हैं। इनसे लोडिंग, अनलोडिंग का काम लिया जाता है। सभी मजदूर जहरीले काले डस्ट के बीच काम करते हैं, लेकिन इन्हें न तो मास्क और न ही ग्लब्स कोई भी सुरक्षा के प्रबंधन करके नहीं दिया जा रहा है। इससे मजदूर श्वांस की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। जिला वैसे ही पहले ही सिलिकोसिस की बीमारी का दंश झेल रहा है।
घातक बीमारी की चपेट में आ रहे वार्डवासी
रेलवे साईडिंग के ठीक किनारे वार्ड नं. 3 एवं 4 स्थित है। यह एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है। इसमें सभी वर्ग के लोग निवासरत हैं। यहां की अव्यवस्था के चलते पूरा वार्ड लाल एवं काली धूल के गुबार से सराबोर हो जाता है। वार्डवासियों के मुताबिक प्रतिदिन उनके घर के अंदर तक डस्ट घुस जाती है। इसका वहां के निवासियों के ऊपर इतना घातक असर हो रहा है कि वह लोग गंभीर बीमारी की चपेट में भी आ रहे हैं। इससे वार्डवासियों में भारी रोष व्याप्त है।
Published on:
21 Apr 2018 04:27 pm
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