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सोनोग्राफी के लिए गर्भवती महिलाओं को कराया जाता है घंटो इंतजार

जिला अस्पताल में सोनोग्राफी जांच के लिए मिलती है तारीख

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सोनोग्राफी के लिए गर्भवती महिलाओं को कराया जाता है घंटो इंतजार

सोनोग्राफी के लिए गर्भवती महिलाओं को कराया जाता है घंटो इंतजार

जांजगीर-चांपा. जिला अस्पताल में सोनोग्राफी कराने के लिए लोगों को खासी परेशानी होती है। सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है। यहां घंटों इंतजार करने के बाद ही सोनोग्राफी होती है। वहीं एक दिन में 25 से ज्यादा सोनोग्राफी नहीं की जाती जिससे चलते कई बार घंटों इंतजार के बाद गर्भवती महिलाओं को बैरंग लौटना पड़ता है।
दरअसल, सरकारी अस्पतालों की बात करें तो एकमात्र जिला अस्पताल में ही सोनोग्राफी की सुविधा है। ऐसे में दूर-दराज क्षेत्र की महिलाएं सोनोग्राफी कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचती है, क्योंकि ब्लॉक मुख्यालय में सुविधा नहीं है और प्राइवेट सेंटरों में जांच कराने के लिए 800 से 1200 रुपए तक फीस ली जाती है जबकि जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए सोनोग्राफी की सुविधा नि:शुल्क है जबकि अन्य मरीजों के लिए 200 रुपए शुल्क लिया जाता है। इसके चलते बड़ी संख्या में रोज यहां गर्भवती महिलाएं जांच कराने के लिए आती है। मगर जिला अस्पताल में ही एक ही रेडियोलॉजिस्ट पदस्थ हैं जिसके चलते एक दिन में 25 से ज्यादा सोनोग्राफी नहीं कर पाने का हवाला देकर सोनोग्राफी करना बंद कर दिया जाता है। ऐसे में दूर-दराज से आई महिलाओं को अगले दिन की पेशी दे जाती है जिसके चलते उन्हें खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल होने के चलते यहां एक ओर रेडियोलॉजिस्ट की निंतात आवश्यकता है। रेडियोलॉजिस्ट की कमी दूर करने के लिए जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन कई बार कोशिश भी कर चुका है। डीएमएफ मद से भी वैकेंसी निकाली जा चुकी है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। जिसके चलते सोनोग्राफी की सुविधा पाने के लिए लोगों को पहले दिक्कतों से गुजरना पड़ता है।

9 तारीख को और बढ़ जाती है परेशानी
दरअसल, हर माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत हर गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच शिविर का आयोजन जिला अस्पतालों में किया जाता है। इसी कड़ी में हर माह की 9 तारीख को जिला अस्पताल में भी बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं जांच के लिए पहुंचती है मगर उस दिन भी 25 से ज्यादा महिलाओं की जांच नहीं होती। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन बाकी महिलाओं को सोनोग्राफी जांच के लिए चांपा के एक निजी सेंटर में भेजते हैं मगर इसके लिए ओपीडी टाइम खत्म होने तक इंतजार कराया जाता है। ऐसे में कई महिलाएं वापस लौट जाती है। जबकि 9 तारीख को स्पष्ट निर्देश रहता है कि अस्पताल तक पहुंचे हर महिला की पूरी जांच हो। मगर रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते अस्पताल प्रबंधन भी बेबस नजर आता है।

पीएम या इमरजेंसी ड्यूटी हुई तो सोनोग्राफी बंद
इसके अलावा जिस दिन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सिदार की पोस्टमार्टम ड्यूटी या इमरजेंसी ड्यूटी लगा दी जाती है, उसके अगले दिन सोनोग्राफी नहीं हो पाती। ऐसे में उक्त तारीख को अस्पताल में सोनोग्राफी के लिए पहुंची महिलाओं को अगले दिन की तारीख दे दी जाती है।