
Janjgir-Champa: आज ऐसे युवा की कहानी जिनकी पहचान नवोदय वाले गुरूजी के रूप में होने लगी है। क्योंकि अब तक ऐसे सैकड़ों बच्चों को तराशकर नवोदय विद्यालय की दहलीज तक पहुंचा सके हैं। ये हैं बम्हनीडीह ब्लॉक के एक छोटे से गांव पुंछेली के लोकेश यादव।
वे बताते हैं कि नवोदय विद्यालय में पढऩा हर छात्र का सपना होता है। खासकर गरीब माता-पिता का, क्योंकि एक बार यहां प्रवेश मिलने के बाद 12वीं तक पढ़ाई का सारा खर्च सरकार देती है। लेकिन इसमें सफलता कुछ बच्चों को ही मिल पाती है। लोकेश खुद भी नवोदय विद्यालय मल्हार बिलासपुर से पढ़कर निकले हैं। इसलिए वे जानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को इसकी तैयारी करने में कितनी समस्या आती है। इसलिए वे गांव में रहकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
लोकेश की 2011 मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लगी थी। वहां चार लाख रुपए सालाना पैकेज था। पर कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और गांव में आकर जैविक खेती के साथ 5वीं और 8वीं के बच्चों को नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षी की नि:शुल्क ट्रेनिंग शुरू की। जो आज भी जारी है। उनके गृहग्राम पुछेली के ही 36 बच्चों का चयन एकलव्य और 6 बच्चों का चयन नवोदय में हुआ है।
Updated on:
05 Sept 2024 10:16 am
Published on:
05 Sept 2024 10:15 am
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