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कार्यवाही से घबराकर ठेकेदार ने अंतत: बंद किया अवैध उत्खनन

जांजगीर-पामगढ़ सड़क निर्माण में जेल के पीछे मैदान से मुरुम की खोदाई कर उसे सड़क निर्माण के काम में लाया जा रहा था।

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मैदान से मुरुम की खोदाई कर उसे सड़क निर्माण के काम में लाया जा रहा था।

जांजगीर-पामगढ़ सड़क निर्माण में जेल के पीछे मैदान से मुरुम की खोदाई कर उसे सड़क निर्माण के काम में लाया जा रहा था।

जांजगीर-चांपा. जांजगीर-पामगढ़ सड़क निर्माण में जेल के पीछे मैदान से मुरुम की खोदाई कर उसे सड़क निर्माण के काम में लाया जा रहा था। इस मुद्दे को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। खबर प्रकाशन के बाद ठेकादर इस बात डर कर खुदाई को तुरंत बंद कर दिया कि कहीं उस पर जिला प्रशासन कार्यवाही न कर दे।

ठेकेदार की इस करनी के लिए जहां खनिज विभाग को लंबी पैनाल्टी करना था वह इसे लेकर चुप है। खनिज विभाग अवैध उत्खनन को लेकर जरा भी चिंतित नहीं है। लोगों का कहना है कि पत्रिका की खबर के बाद ठेकेदार ने फिलहाल तो उत्खनन बंद कर दिया, लेकिन यदि उसे पर कार्यवाही नहीं हुई तो उसके हौसले बुलंद हो जाएंगे और वह फिर से मुरुम का उत्खनन शुरू कर देगा।


गौरतलब है कि जिला जेल के पीछे और कॉलेज भवन से लगी सैकड़ों एकड़ जमीन मैदान के रूप में पड़ी हुई है। इस मैदान में कॉलेज हॉस्टल में रहने वाले बच्चे सुबह की दौड़ के साथ ही क्रिकेट व अन्य खेल खेलते हैं। इसकी काफी जमीन जनवरों के लिए गौचर के रूप में काम आती है।

लेकिन अब इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। जांजगीर-पामगढ़ रोड बना रहे ठेकेदार के द्वारा इस मैदान में दिन रात चेनमाउंटेन व जेसीबी मशीन लगाकर मुरुम का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। मुरुम का अवैध उत्खनन इतनी तेजी से चल रहा है कि देखते ही देखते मैदान का काफी भाग गहरे तालाब में बदल गया है।


ग्रामीणों में रोष, हो सकता है आंदोलन- ग्राम पंचायत खोखरा में इस तरह चल रहे अवैध उत्खनन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार वहां का सरपंच है। उसने ठेकेदार की मिलीभगत से मैदान की मिट्टी को बिना किसी की मंजूरी के बेंच दिया है। ठेकेदार द्वारा सरपंच को मोटा कमीशन दिए जाने से वह इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है। इससे वहां के ग्रामीणों और कॉलेज के विद्यार्थियों में रोष है।

लोगों का कहना है कि अब उन्हें ही इसके खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी। ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि इस मैदान में खेले-कूद के साथ ही उनका भी काफी काम होता है। उनका हक कोई नहीं छीन सकता है। उन्होंने कहा कि यदि ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती तो वह इसके खिलाफ आंदोलन कर विरोध दर्ज कराएंगे।

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन कुछ कार्रवाई करता है या फिर ग्रामीणों को कर्यवाही कराने के लिए सड़क पर उतना पड़ेगा।