
कृषक कल्याण समिति ने आवाज उठाई
जांजगीर-चांपा. जिले में नहरों के जाल बिछे होने के बावजूद सिंचाई की समस्या बनी रहती है। जिसकी मांग को लेकर एक बार फि र जिला कृषक कल्याण समिति ने आवाज उठाई है। समिति ने राज्यपाल के नाम से सौंपे गए ज्ञापन में इस बात की मांग रखी है कि ग्रीष्मकालीन धान की बजाए रबि फसल गेंहू, चना, सरसो व अन्य फसलों के लिए किस्तों में पानी दिया जाए। जिससे किसानों को उक्त रबि की फसलों की बुआई व तैयार करने में आसानी हो।
जिले में सिंचाई की पर्याप्त सुविधाओं की मांग को लेकर आए दिन ग्रामीण व उनके अधिकार की आावज उठाने वाले संगठन जिला प्रशासन के समक्ष पहुंच कर अपनी मांगों को रखते हैं। इस कड़ी में जिला कृषक कल्याण समिति से जुड़े दुश्यंत कुमार सिंह व अन्य भी सिंचाई व्यवस्था को लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे हुए थे। समिति के ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि हसदेव बांगो परियोजना के बांगो बांध में करीब 80 प्रतिशत जल का भराव है।
ऐसे में, उक्त बांध में मौजूद जल को रबि फसल, जो जनवरी से लगने शुरु हो जाते हैं। उसके लिए एक जनवरी 2019 से 15-15 दिन के अंतराल पर अप्रैल 2019 तक नहरों के जरिए छोड़ा जाए। किसान नेता ने इस बात की भी मांग रखी है कि ग्रीष्मकालीन धान के लिए नहरों से पानी नहीं दिया जाए। धान की तुलना में रबि फसल का बाजार काफी बेहतर होने की बात कही जा रही है।
किसान को नहीं मिल पाएगा मेहनताना
यदि ग्रीष्मकालीन धान के लिए नहरों से पानी दिया गया तो किसान धान की फसल को ही लगाएंगे। वहीं जब उसे बेचने के लिए मंडी जाएंगे तो महज 800-1000 रुपए प्रति क्ंिवटल की दर से ही व्यापारी उनसे खरीदेंगे। ऐसी स्थिति में किसानों की मेहनत की राशि भी ठीक ढंग से नहीं मिल पाएगी। वहीं रबि फसल की सिंचाई के लिए पानी भी खत्म हो जाएगी। ऐसे में,
रबि फसल बुरी तरह से प्रभावित होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। रबि फसल की बुआई व भविष्य में पानी की होने वाली परेशानी को देखते हुए किसान समिति ने जिला प्रशासन के जरिए राज्यपाल के समक्ष अपनी मांगों को रखा है।
Published on:
20 Oct 2018 05:13 pm
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